Delhi Bharatiya Chikitsa Parishad: बिना परिषद के दिल्ली में आयुष के डॉक्टर्स हो रहे हैं परेशान

Delhi Bharatiya Chikitsa Parishad: बेशक केंद्र सरकार पिछले कुछ सालों से देश में आयुर्वेद (Ayurveda) को आगे बढ़ाने के काम में लगी हुई हो, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (National Capital Delhi) में केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) आयुर्वेद के लिए काम करने वाली स्वायत्त संस्था दिल्ली भारतीय चिकित्सा परिषद का चुनाव ही नहीं कर रही है, इसकी वजह से आयुष की पढ़ाई (Ayush Education) से लेकर इलाज तक प्रभावित हो रहा है। हालत ये है कि 2010 के बाद से इस परिषद का गठन ही नहीं हुआ है। लिहाजा आयुष चिकित्सकों को भारी परेशानियां हो रही है।

Dr. Keshav Sharma, IMA-AYush

IMA-AYUSH के महासचिव डॉ. केशव शर्मा के मुताबिक दिल्ली सरकार लोकतंत्र को दबाने की कोशिश कर रही है। पिछले 11 सालों से दिल्ली भारतीय चिकित्सा परिषद का चुनाव नहीं हुआ है। इसका अंतिम चुनाव दिसंबर 2010 में हुआ था। इसके बाद केजरीवाल सरकार ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस परिषद को 16 मार्च 2015 को भंग कर दिया था। इस परिषद में कुल 21 सदस्य होते हैं। कहा जाए तो दिल्ली भारतीय चिकित्सा परिषद आयुष और यूनानी के डॉक्टर्स का बोर्ड है। 21 मेंबर में से 10 सदस्यों का चुनाव होता है और 11 नोमिनेटिड होते हैं। फिर ये 21 लोग मिलकर काउंसिल में चेयरमैन चुनते है।

धांधली होती रही है परिषद के चुनाव में

दरअसल नोमिनेटिड सदस्य भी दिल्ली के मुख्यमंत्री खुद चुनकर एलजी के यहां भेजते हैं। लिहाजा पूरी परिषद पर कहा जाए तो एक तरह से सरकार का कब्जा होता है। लेकिन इसके बाद भी इसका इलेक्शन नहीं कराया जा रहा है। पहले तो 16 मार्च 2015 में इस परिषद को भंग किया गया। फिर 2017 में इलेक्शन कराए, लेकिन ये इलेक्शन बाइपोस्ट कराए गए थे, जिसमें भारी धांधली हुई थी। बहुत सारी कंपनियों ने इसमें भूमिका भी निभाई थी, आज के जमाने में फिजिकल इलेक्शन की बजाए पोस्ट से इलेक्शन तो धांधली को लोकतांत्रिक स्वरूप देने जैसा है, लिहाजा हमने इसका जमकर विरोध किया था। लिहाजा सरकार को ये इलेक्शन रद्द करना पड़ा था।

चुनाव लोकतांत्रिक तरीके करें दिल्ली सरकार

डॉ. केशव शर्मा के मुताबिक दिल्ली में आयुष के डॉक्टर्स को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जहां उनके रजिस्ट्रेशन और रिन्यू में उन्हें अधिकारियों के भरोसे रहना पड़ रहा है। वहीं इसमें लंबा वक्त भी लग रहा है। इससे कई तरह की गंभीर खामियां दिल्ली आयुष में आ गई है। लिहाजा इस परिषद के चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से जल्द से जल्द कराए जाने चाहिएं।

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