Desi cow milk: भारत में अक्सर रात को दूध पीने का बहुत ही चलन है, हालांकि धीरे धीरे ये चलन अब कम हो रहा है। आयुर्वेद में दूध का बहुत महत्व है। ख़ासकर देसी नस्ल की गाय के दूध का। ये कई बीमारियों को दूर करने में काम आता है। भारत में गाय को मां माना जाता है और इसमें 33 कोटि देवी देवताओं का वास माना जाता है। पूरे देश में अलग अलग नस्ल की गाय पाई जाती है। लेकिन शुद्ध भारतीय नस्ल की गाय की एक विशेषता उसका हंप यानि ककूद हो।
आयुर्वेद में जिस गाय के दूध को दूग्ध उत्पादों दवाई की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। वो गाय स्वस्थ्य हो, वो गाय गलियों में घूमकर प्लास्टिक कचरा ना खाने वाली हो और जंगल में गोचर के लिए जाने वाली हो। आयुर्वेद में पंचगव्य को चेतन माना गया है। यानि प्राणवान है। उसमें जीवन है। देवताओं का वास है। लिहाजा जब भी आप गाय के दूध या उसके बने अन्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो पूर्ण मनोयोग से करना चाहिए।
दूध: आयुर्वेद के मुताबिक गाय का दूध वात युक्त होता है, यानि अगर किसी व्यक्ति को गैस हो, अपचय हो या पेट संबंधी बीमारियां हो तो उस व्यक्ति को गर्म दूध में दो चम्मच घी डालकर इसे फेंटकर पीना चाहिए। जहां दूध वातयुक्त होता है, वहीं घी वातनाशक होता है। इससे दूध जल्दी पच जाता है। अगर किसी व्यक्ति की पाचन शक्ति बहुत ही कमज़ोर हो तो उस व्यक्ति को आधा गिलास दूध में आधा पानी मिला लेना चाहिए और घी की मात्रा दो चम्मच ही रखनी चाहिए। ताकि दूध जल्द ही पच जाए और व्यक्ति को शक्ति मिले।
डॉ. कृतिका के मुताबिक देसी गाय का दूध बहुत की शक्तिवर्धक होता है। ये दूध देसी गाय का ही होना चाहिए। इसी तरह जिस घी की बात हम यहां कर रहे हैं, वो घी भी देसी गाय के दूध की दही को मथकर निकाले गए मक्खन को तपाकर बनाया गया घी ही होना चाहिए।
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