
नई दिल्ली। भारत को वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा का केंद्र बनने के लिए सरकार एक बार फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ दूसरा वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन करने जा रही है। यह आयोजन 17 से 19 दिसंबर के भारत मंडपम में होने जा रहा है।
इस बार आयोजन को स्वास्थ्य और कल्याण का विज्ञान और कार्यप्रणाली’ के तहत यह आयोजन साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा को मजबूत करेगा।इस शिखर सम्मेलन से पहले नई दिल्ली में राजदूतों और राजनयिकों का स्वागत समारोह आयोजित हुआ।
इस बारिश अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 20 से ज्यादा देश हिस्सा लेंगे और 100 से ज्यादा देश इसमें ऑनलाइन जुड़ेंगे।
आयुष मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि यह सम्मेलन न्यायसंगत, सुलभ स्वास्थ्य प्रणालियों की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान से जोड़ने पर जोर दिया, जिसमें अनुसंधान, गुणवत्ता मानक और वैश्विक सहयोग शामिल हैं।आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने समग्र स्वास्थ्य पर वैश्विक समन्वय की आवश्यकता बताई। डब्ल्यू एच ओ की पूर्व क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने पारंपरिक चिकित्सा को सभी के लिए स्वास्थ्य प्राप्ति का अभिन्न अंग बताया। यह शिखर सम्मेलन वैश्विक कार्यनीति 2025-2034 को निर्देशित करेगा, जिसमें नवीनतम साक्ष्य और नवाचारों पर चर्चा होगी। विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) सिबी जॉर्ज ने आयुष मंत्रालय की संयुक्त सचिव मोनालिसा दास ने साझेदार कार्यक्रमों और मंत्रिस्तरीय गोलमेज की जानकारी दी। यह सम्मेलन 170 सदस्य देशों की भागीदारी से पारंपरिक चिकित्सा को मुख्यधारा में लाएगा, जिसमें आयुर्वेद, यूनानी जैसी प्रणालियां शामिल होंगी। भारत की मेजबानी वैश्विक स्वास्थ्य इको-सिस्टम को नई दिशा देगी।
आयुष सचिव वैद्य कटोचन ने बताया कि दुनिया भर के 170 से ज्यादा देश पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग कर रहे हैं, भारत के अलावा जर्मनी सबसे ज्यादा पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग करता है। इस सम्मेलन में अश्वगंधा को लेकर भी एक चर्चा होगी।