Leech therapy: हार्ट की ब्लॉकेज को खोलने में आयुर्वेद की लीच थैरेपी ने सफलता पाई है, रीवा के आयुर्वेदाचार्य डॉ दीपक कुलश्रेष्ठ ने जोंक लगाकर हार्ट की ब्लॉकेज खोले हैं।
दैनिक अखबार राजस्थान पत्रिका को रीवा गवर्नमेंट आयुर्वेदिक कॉलेज के डीन डॉ दीपक कुलश्रेष्ठ ने बताया की जोक में 60 तरह के केमिकल्स पाए जाते हैं ,इसकी लार में हिपेरिन नाम का केमिकल होता है। जो रक्त संचार के प्रभाव को खोलने में मदद करता है। जोंक का प्रयोग माइग्रेन, एग्जिमा, गैंग्रीन और मुहांसों को ठीक करने में भी होता है। हिपेरिन केमिकल्स की वजह से डेढ़ साल पहले उन्होंने हार्ट के मरीजों पर इसका प्रयोग शुरू किया था। पहले मरीज के प्रयोग में सफलता के बाद उन्होंने 7 और मरीजों पर यह ट्रायल किया। जोकि काफी सफल रहा।
डॉक्टर कुलश्रेष्ठ के मुताबिक जोंक जब खून चूसती है तो उस दौरान लार के जरिए हिपेरिन केमिकल पूरे शरीर में सर्कुलेट हो जाता है और वह नसों के ब्लॉकेज को खुलता है। यह पद्धति उन मरीजों के लिए भी बहुत कारगर है, जिनमें एंजियोग्राफी के बाद हार्ट में ब्लॉकेज की समस्या हो जाती है। साथ ही सीढी पर चढ़ने पर उनकी सांस फूलती है। इस थैरेपी में कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। इस थेरेपी को इस्तेमाल करने और इसे पूरी तरह मरीज के स्वस्थ होने में करीब 2 महीने का समय लगता है। डॉ कुलश्रेष्ठ बताते हैं कि पीडब्ल्यूडी के पूर्व अधिकारी एस एल श्रीवास्तव थे, जिनकी हार्टब्लॉकेज थी, जिसके बाद उन्होंने लीच थेरेपी से उपचार शुरु कराया। इस उपचार के बाद जब वह मेदांता में अपने टेस्ट कराने गए तो उन्हें पता चला कि वह पूरी तरह से स्वस्थ है और उनकी भी ब्लॉकेज नहीं है।