हम अपने बच्चों को बेहतर इंसान, माता-पिता का कहना मानने वाला, तेज़ बुद्धि वाला और बेहतर स्वास्थ्य (sharp mind and better health) वाला बनाना चाहते हैं। आयुर्वेद (Ayurveda) के मुताबिक, इस तरह के गुणों वाला व्यक्ति बनाने में खान पान का महत्वपूर्ण योगदान होता है अगर आप अपने बच्चों को इस तरह के गुणों वाला बनाना चाहते हैं तो बच्चे को बचपन से ही उसके भोजन पर ध्यान दें। आयुर्वेद में भोजन को तीन भागों में बांटा गया हैं सात्विक, राजसिक और तामसिक (Satvik, Rajasik and Tamasik.)।
अगर आप अपने बच्चे को साधू संत या फिर शांत चित्त वाला व्यक्ति देखना चाहते हैं तो उसे सात्विक भोजन दें, अगर उसे राजाओं और ठाठ बाट वालों की तरह रहने वाला बनाना चाहते हैं तो राजसिक भोजन दें और अगर तामसिक भोजन अगर बच्चे को देंगे तो वह बेहद आलसी, क्रोधी और परेशान करने वाला बन सकता है।
आइए अब हम बताते है कि सात्विक, राजसी और तामसिक भोजन होते क्या हैं।
आयुर्वेद के मुताबिक, बिना प्याज़-लहसुन और बहुत कम तेल मसालों के साथ एकदम शुद्ध तरीके से बनाया गया भोजन सात्विक भोजन कहलाता है। आयुर्वेद शास्त्र में इसे शरीर, बुद्धि और मन के लिए सबसे अच्छा माना गया है। इस तरह का भोजन करने वाले अधिकांश लंबी आयु वाले होते हैं और जीवन में बेहतर फैसले लेते हैं। कम संसाधनों में भी इस तरह के व्यक्ति बेहतर जीवन जीते हैं। साधु-संत हमेशा ऐसा ही भोजन करते हैं। आयुर्वेद के ग्रंथ चरक संहिता के अनुसार, इससे शरीर को पूरा पोषण और एनर्जी मिलती है और दिमाग भी शांत रहता है। सात्विक भोजन अधिकांश उबला हुआ होता है। यदि आप शुद्ध तरीके से खाना बनाकर 2-3 घंटे के अंदर खाते हैं, तो यह भी सात्विक भोजन है। इस भोजन में साबूत अनाज, फल और सब्जियां, दूध, घी, मक्खन, मेवे, शहद, बिना प्याज़-लहसुन वाली दाल-सब्ज़ियां आदि।
सात्विक भोजन के फायदे
आसानी से पचता है- भारत में ज्य़ादातर ज्ञान घर के बड़े-बुज़ुर्ग अपने छोटों को देते हैं, इसी तरह की सलाह अक्सर आप लोगों ने भी सुनी होगी कि उपवास के बाद बिना तेल-मसाले का हल्का भोजन करना चाहिए? क्योंकि यह आसानी से पच जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, सात्विक भोजन कि यही खासियत है कि यह आपकी किडनी, लीवर, आंतों और पेनक्रियाटिक सिस्टम को आराम देता है और इसे खाने से आपको ताजगी का एहसास होता है, मन भी शांत रहता है, क्योंकि ऐसा भोजन करने वालों को कभी भी पेट संबंधी बीमारी नहीं होती है।
ऊर्जा और आंतरिक शांति- आयुर्वेद के मुताबिक, सात्विक भोजन करने से मानसिक शांति मिलती है। इससे न सिर्फ शरीर अधिक काम करके भी ज्य़ादा एनर्जेटिक रहता है, बल्कि व्यक्ति को शांति और खुशी का भी एहसास होता है।
सुंदरता- सात्विक भोजन करने वाले पूरी तरह से स्वस्थ रहते हैं और उनकी त्वचा और बाल खूबसूरत बने रहते हैं, इसी वजह से उनके मुख पर अलग सा तेज़ होता है और वो हमेशा अपनी उम्र से कम नज़र आते हैं।
पौष्टकिता से भरपूर- चूकि सात्विक भोजन ज़्यादातर सिर्फ उबालकर ही बनाया जाता है या इसमें ताज़े फल और सब्ज़ियों खाया जाता है, इसलिए यह पौष्टिकता से भरपूर होता हैं। चूकि तेल, मसाले और चीनी का इस्तेमाल न के बराबर होता है, इसलिए दिल के मरीजों और शुगर के पेशेंट के लिए यह बहुत अच्छा माना जाता है।
राजसी भोजन
यह ऐसा भोजन होता है, जिसे स्वाद के लिए खाया जाता है, यानि इसे खाने में स्वाद तो आता है, लेकिन इसमें पौष्टिकता और एनर्जी की कमी होती है। इस तरह का भोजन राजा किया करते थे। जिसमें खूब तेल, मसालों और प्याज़-लहसुन डाला जाता था। साथ ही इसमें मांस का उपयोग भी काफी किया जाता था।
ये आहार शरीर और मस्तिष्क को उत्तेजित करता है और व्यक्ति ओवरएक्टिव हो जाता है, इससे बेचैनी, क्रोध, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा जैसी बीमारियां तुरंत दिखने लगती हैं और धीरे धीरे यह गंभीर बीमारियों में तब्दील होने लगती है। बीपी शुगर जैसी बीमारियां राजसी भोजन के कारण ही होती हैं। इसलिए बच्चों को ख़ासकर साधारण भोजन दिया जाना चाहिए। अतिस्वादिष्ट खाद्य पदार्थ राजसिक हैं I
उदाहरण – मसालेदार भोजन, प्याज, लहसुन, चाय, कॉफी और तले हुए खाद्य पदार्थ I
तामसिक भोजन
यह भोजन आयुर्वेद में निषेध बताया गया है, यानि इसका सेवन नहीं किया जाना चाहिए, इसमें सबसे प्रमुख बासी खाना है, साथ ही ऐसा मांसाहार जोकि आयुर्वेद शास्त्र में खाने से मना किया गया है। ऐसा भोजन करने से शरीर में सुस्त आती है और व्यक्ति का किसी काम में मन नहीं लगता। उसका मन भटकने लगता है और मानसिक शांति और शारीरिक ऊर्जा धीरे धीरे कम होने लगती है और वह डिप्रेशन की ओर जाने लगता है। बच्चों को तो इस तरह के भोजन से दूर रखना चाहिए। बाज़ार में अत्यधिक तेल वाले, अत्याधिक मीठे और अन्य तरह के भोजन से बच्चों को तुरंत दूर कर देना चाहिए।
तामसिक भोजन के नुकसान
पेट में जम जाता है- आयुर्वेद के मुताबिक, इस तरह के भोजन को बनाने में तेल मसाले का अधिक इस्तेमाल होता है इसलिए लंबे समय तक इनके सेवन पेट में जलन, एसिडिटी के साथ ही अन्य समस्याएं भी हो सकती है। यह भोजन पेट पचा नहीं पाता और वह धीरे धीरे आंतों में जमने लगता है और बीमारियों को जन्म देता है।
आलसपन – सात्विक भोजन से जहां शरीर को स्फूर्ति और ऊर्जा मिलती है, वहीं तामसिक भोजन के सेवन से शरीर आलसी बन जाता है।
क्रोध और तनाव – शराब जैसी नशीली चीज़ों को भी तामसिक माना गया है, आयुर्वेद के मुताबिक, ऐसे भोजन के सेवन से गुस्सा और तनाव बढ़ जाता है।