Home Ayurveda Desi Ghee का करें इस्तेमाल, कई गंभीर बीमारियों से रहेंगे दूर

Desi Ghee का करें इस्तेमाल, कई गंभीर बीमारियों से रहेंगे दूर

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Desi Ghee
Desi Ghee

आजकल देसी घी (Desi Ghee) को लेकर सोशल मीडिया (Social Media) पर बहुत बहस चल रही है। जहां मार्डन मेडिसिन लॉबी लंबे समय से घी को सेहत के लिए खराब बताता रहा है, वहीं आयुर्वेद ग्रंथों से लेकर आयुर्वेद चिकित्सक देसी घी को सेहत का ख़जाना बताते हैं। हालांकि अब मार्डन मेडिसिन भी मानने लगी है कि देसी घी का इस्तेमाल बहुत से रोगों में फायदा पहुंचाता है। जैसा कि मार्डन मेडिसिन वाले अब योग को भी सेहत के लिए बेहतर बताने लगे हैं।

घृतपित्तानिलहरं रसशुक्रौजसां हितं।
निर्वापणंमृदुकरं स्वरवर्णंप्रसादनम्।।

मार्डन साइंस के मुताबिक, आयुर्वेदिक तरीकों से तैयार देसी घी में डीएचए की मात्रा अधिक होती है। ओमेगा-3 से लेकर बहुत सारे अन्य तत्व घी में होते हैं। लेकिन डीएचए ऐसा तत्व है जोकि मछली के तेल, गहरे पानी के शैवाल में ही पाया जाता है। यह तत्व घी को विशेष बनाता है।
घी के महत्व को बुजुर्ग लोग जानते हैं, इसलिए वो घी खाने की सलाह देते रहते हैं। दरअसल घी के अनगिनत फायदे होने के कारण ही इसे इतना महत्व दिया जाता है। घी का सेवन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए ही अच्छा है।
देसी घी कैसे निकलता है
जब मक्खन को अच्छी तरह पकाते हैं, तब पकने के बाद छाछ के अंश को अलग करने से जो निकलता है, उसे देसी घी कहते हैं। गांवों में दही जमाकर इसके बिलोकर मक्खन निकाला जाता है और उसके बाद इसे पकाकर इससे घी बनाया जाता है।
सभी प्रकार के तैलीय व चिकने पदार्थों में घी सबसे बेहतर माना गया है, क्योंकि अन्य औषधियों के साथ पकाने से यह उनके असर (एफिकेसी) को बढ़ा देता है। अन्य किसी भी चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थ में इस तरह के गुण नहीं मिलते हैं। सभी प्रकार के घी में देसी गाय का घी सबसे अच्छा माना गया हैं।

गुणों से भरपूर है देसी घी
घी भारी, चिकनाई युक्त मधुरविपाक व शीतवीर्य होता है। यह बुद्धि, याददाश्त, बल, शुक्र, चमक और स्वर में भारीपन करने वाला अच्छा रसायन भी है। घी से ह्रदय को मज़बूती मिलती है और यह वृद्धों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है।

जितना पुराना उतना बेहतर देसी घी
आयुर्वेद के मुताबिक, दस सालों तक संरक्षित करके रखा हुआ घी “पुराना घी” कहलाता है। इसी तरह 100 साल तक रखे गए घी को “कुम्भघृत” कहा जाता है और 100 साल से भी ज्यादा वक्त से रखे गए घी को “महाघृत” कहते है।
पुराने घी के फायदे
पुराने घी की महक बहुत तेज़ होती है, इसके बावजूद यह मिरगी, बेहोशी, मलेरिया एवं सिर, कान, आंख व योनि से जुड़े रोगों में फायदेमंद होता है।
गाय-भैंस का देसी घी
गाय और भैंस के दूध से तैयार घी का भी अपना अलग अलग महत्व होता है। आयुर्वेद के मुताबिक, भैंस के घी की तुलना में गाय का देसी घी ज्यादा पौष्टिक और स्वादिष्ट माना जाता है।
घी के फायदे
बच्चों से लेकर बड़ों तक हर किसी के लिए घी का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है। शरीर को ताकत देने के साथ साथ यह शरीर की इम्युनिटी को भी बढ़ाता है। जिससे कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है।

मानसिक रोगों में फायदा
घी के सेवन से याददाश्त और तार्किक क्षमता में बढ़ोतरी होती है। इसी तरह यह कई तरह के मानसिक रोगों में भी फायदे वाला माना जाता है। हालांकि इसका सेवन करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से इसकी मात्रा के बारे में ज़रूर जानकारी लें।

बुखार में लाभदायक
कई आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मानना है कि बुखार में घी का सेवन करने से राहत मिलती है।

वात के प्रभाव को कम करने में मदद
वात के असंतुलित होने से शरीर के अनेक प्रकार के रोग होने लगते हैं। घी के सेवन से वात के प्रभाव को कम किया जा सकता है। जिससे वात के प्रकोप से होने वाले रोगों से बचाव होता है।

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