उत्तराखंड सरकार, राज्य में योग और आयुर्वेद (Yoga and Ayurved) को बढ़ाने को लेकर कुछ बड़े कदम उठा रही है, सरकार आयुर्वेद और योग के मामले में राज्य को अंतरराष्ट्रीय पटल पर लेकर जाना चाहती है। इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने जहां आयुष की पॉलिसी और उसकी गाइडलाइंस तैयार की हुई है, वही वह ऋषिकेश, केदारनाथ और आदि कैलाश (Rishikesh, Kedarnath and Adi Kailash) को योग के प्रमुख स्थानों के तौर पर विकसित करना चाहती है।
यह भी पढ़ें: New Ayush Hospitals: Uttar Pradesh में 50 नए आयुष अस्पताल शुरु
राज्य सरकार ने उत्तराखंड में मिलने वाले औषधीय पौधों को देखते हुए अपने 100 से ज्यादा गांवों के नाम भी वहां मिलने वाली आयुर्वेदिक औषधियां के नाम पर रखे हैं। इस बारे में राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लीडरशिप में देवभूमि उत्तराखंड को हम अंतरराष्ट्रीय योग और मेडिटेशन का स्थान बनाना चाहते हैं। आदि कैलाश और केदारनाथ को लेकर प्रधानमंत्री के भाव ने दुनिया का ध्यान इस ओर खींचा है। हमारी सरकार उत्तराखंड को आयुष हेल्थ सर्विसेज के तौर पर मशहूर करना चाहती है, ताकि लोगों को देवभूमि उत्तराखंड में हॉलिस्टिक वैलनेस मिले।
यह भी पढ़ें: हिमाचल की चोटियों पर खोजी जाएंगी Ayurvedic herbs
उत्तराखंड सरकार ने राज्य के करीब 50,000 किसानों को औषधीय पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया है। आयुर्वेदिक और आयुष उत्पादों के मामले में उत्तराखंड पहले से ही काफी मजबूत है। यहां पर बड़ी आयुर्वेदिक कंपनियां न सिर्फ अपने प्लांट लगाए हुए हैं, बल्कि यहां से काफी बड़ी मात्रा में आयुर्वेदिक कच्चा माल भी लिया जाता है। राज्य की जीडीपी में हर साल आयुष क्षेत्र से 4-5 हज़ार करोड़ रूपये राज्य सरकार को मिलता है। राज्य सरकार ने आयुष को लेकर सबसे बेहतर हेल्थ केयर सिस्टम स्थापित करने की कोशिश की है। राज्य सरकार ने राज्य के सभी आयुष अस्पतालों को अगले पांच सालों में नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड का हॉस्पिटल एंड हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स से रजिस्ट्रेशन करा रही है। इससे न सिर्फ यहां के अस्पताल को अपनी सर्विसेज बेहतर करने मदद मिलेगी। इसके साथ-साथ यहां के आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट को एलोपैथी हेल्थ केयर सिस्टम के साथ जोड़ने में भी मदद मिलेगी।