अत्यधिक वजन जिसे मार्डन युग में “मोटापा” भी कहा जाता है, दुनिया भर में कैंसर के लिए सबसे ज्य़ादा जिम्मेदार कारणों में से एक के रूप में उभर रहा है। रिसर्च से पता चलता है कि यह विश्व स्तर पर सभी कैंसर के 3 से 15% के बीच लोगों में कैंसर मोटापे के कारण हो रहा है। इसमें भी ज्यादातर वो लोग हैं, जो किसी ना किसी पेट की बीमारी, जैसे कब्ज और खाना ना पचने की बीमारी से परेशान थे।
यह दृढ़ता से माना जाता है कि भारत में विशेष रूप से दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में निदान किए गए कैंसर की बढ़ती संख्या को भी मोटापे या खानपान की समस्याओं से दर में वृद्धि से जोड़ा जा सकता है।जबकि मोटापे और कैंसर के बीच की कड़ी केवल वयस्कों में देखी जाती है न कि बच्चों में, बचपन में मोटे होने से वयस्कता में मोटापे का खतरा बढ़ जाता है।
कौन से कैंसर मोटापे से संबंधित हैं?
अध्ययनों ने मोटापे और स्तन, कोलन, गर्भाशय, गुर्दे, यकृत, पेट, पित्ताशय, अंडाशय, थायराइड और कुछ ब्रेन ट्यूमर के कैंसर के बीच एक स्पष्ट संबंध दिखाया है।
मोटापा कैसे बढ़ाता है कैंसर का खतरा?
शरीर में वसा कोशिकाएं गतिशील संरचनाएं होती हैं। अत्यधिक वसा से एस्ट्रोजन और वृद्धि कारक जैसे अतिरिक्त हार्मोन का उत्पादन हो सकता है जो बदले में कोशिकाओं के अतिरिक्त विभाजन को बढ़ावा दे सकता है जिससे कैंसर के विकास की संभावना हो सकती है।
शोध से पता चलता है कि मोटापे की अवधि (कितनी देर तक) और मोटापे की डिग्री (कितना) और कैंसर के खतरे के बीच एक कड़ी है। इसके अलावा मोटापे का पैटर्न कैंसर के खतरे को भी प्रभावित कर सकता है। पेट के आसपास की चर्बी सबसे कुख्यात है और इससे कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ सकता है।