Budget for Ayurveda: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitaraman) के बजट में आयुष मंत्रालय (Ministry of Ayush) को 3050 करोड रुपए का आवंटन किया है। उससे आयुर्वेद वैद्य और इंडस्ट्री काफी खुश है। इस आवंटन में जहां सरकार ने 44 करोड़ रुपये नेशनल मेडिस्नल प्लांट बोर्ड को दिए हैं। वही आयुर्वेद सेक्टर में रिसर्च करने वाली संस्था सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वैदिक साइंसेज को भी 358 करोड रुपए का आवंटन किया है।
इसको लेकर इंडस्ट्री के लोग और आयुर्वेद सेक्टर में काम करने वाले काफी खुश हैं आयुर्वेद में दवा बनाने का काम करने वाली AIMIl फार्मास्यूटिकल्स के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर संचित शर्मा ने AyurvdIndian.com को बताया की सबसे ज्यादा परेशानी आयुर्वेद फार्मा इंडस्ट्री को उत्पादों की सही गुणवत्ता की ही आती है, हम जो दवाएं बनाते हैं उनमें प्रोडक्ट क्वालिटी बहुत महत्वपूर्ण है। भारत में आयुर्वेदिक फसलों और विशेष पौधों का उत्पादन धीरे धीरे कम हो रहा है। लिहाजा इसकी खेती और इसका कल्टीवेशन एरिया बढ़ना चाहिए। बजट में सरकार ने इस पर खासा जोर दिया है, जो देश में आयुर्वेद सेक्टर को बढ़ाने में मदद करेगा। नेशनल मेडिसिनल प्लांट्स के बजट में पिछले कुछ सालों में अच्छी बढ़ोतरी हुई है। साथ ही साथ इस साल सरकार ने भी इसके लिए अलग से स्पेशल फंड भी रखा है। अगर भारत में औषधिय गुण वाली फसलों में बढ़ोतरी होगी तो इससे हम अच्छी क्वालिटी की दवा बना सकेंगे और इनका निर्यात भी कर सकेंगे।
IMA आयुष के राष्ट्रीय महासचिव वैद्य केशव शर्मा ने आयुर्वेद इंडियन को बताया की पहले की सरकारें आयुष मंत्रालय और आयुर्वेद को लगभग हाशिए पर रखती थी। इसके लिए बहुत ही कम बजट रखा जाता था। लेकिन 2014 के बाद से इसमें काफी बदलाव आ गया है। इस बार के बजट में भी आयुर्वेद इंडस्ट्री के लिए और आयुर्वेद के विकास के लिए फंड में बढ़ोतरी हुई है। हमने जो जो मांग सरकार से रखी थी वह सब पूरी हो गई है। आयुर्वेद रिसर्च एक ऐसा सेक्टर है। जिसको लेकर पूरी आयुर्वेदिक इंडस्ट्री और डॉक्टर फैटरनिटी चिंतित है। दरअसल चीन समेत कई देश भारतीय औषधियों को हर्बल के नाम से पेटेंट करा रही है। जोकि भारतीय आयुर्वेदिक इतिहास को छिनने जैसा है। इसलिए हमारी मांग थी कि रिसर्च को बढ़ावा दिया जाए। सरकार ने भी इस बार आयुर्वेदिक रिसर्च को सबसे ज्यादा फंड दिया है। जोकि एक बहुत ही बेहतर कदम है।