कुछ समय पहले भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर और पुष्पगिरि इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, तिरुवल्ला के वैज्ञानिकों ने चूहों पर ब्रह्म रसायन का परीक्षण किया। इस शोध में चूहों को दो समूहों में बांटा गया और उन पर अधिक मात्रा में रेडिएशन डाला गया। छह महीने तक चले इस शोध में यह बात सामने आई कि चूहों के आनुवांशिक तत्वों और डीएनए पर रेडिएशन के प्रभाव के साथ ही सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या कम होने लगी। चूहों के एक समूह को जिन्हें ब्रह्म रसायन की खुराक दी गई थी, उनका प्रभाव कम था।
कैसे बनता है ब्रह्म रसायन
ब्रह्म रसायन आंवला, हरड़ व शंखपुष्पी के मिश्रण के साथ ही इसे अन्य 60 अन्य जड़ी-बूटियों से तैयार किया जाता है। चटनी के रूप में इसे दिन में दो बार गुनगुने दूध या पानी के साथ 10 से 15 ग्राम की मात्रा में लिया जा सकता है। इसका असर इसे लगातार 1-2 महीने तक लेने पर होता है। डायबिटीज के मरीजों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
आयुर्वेद में इस औषधि को एंटीएजिंग फॉर्मूला बताया गया है। नियमित रूप से भोजन करने से शारीरिक और मानसिक कमजोरी दूर होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा बढ़ाकर थकान को दूर करता है। यह कोशिकाओं के पुनर्निर्माण के साथ प्लीहा और मज्जा कोशिकाओं का विस्तार करता है।