पाइल्स को जड़ से खत्म करने के लिए खोजी गई दवा? बनारस के आयुर्वेद कॉलेज का दावा

पाइल्स के मरीजों के लिए राहत की खबर है। बनारस के आयुर्वेद कॉलेज के शोधकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने पाइल्स को जड़ से खत्म करने वाली दवा खोज ली है। 15-20 दिनों तक इस दवा को लेने के बाद रक्तस्राव बंद हो जाता है। बवासीर एक आम समस्या बनती जा रही है। इसमें सबसे बड़ी समस्या तब होती है जब यह खूनी बवासीर का रूप ले लेता है। परेशान लोग इलाज के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं। सरकारी आयुर्वेद कॉलेज के शोधकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने पाइल्स को जड़ से खत्म करने वाली दवा खोज ली है। 15-20 दिनों तक दवा लेने के बाद रक्तस्राव बंद हो जाता है। एक महीने में रोगी पूरी तरह स्वस्थ महसूस करने लगता है। आयुर्वेद कॉलेज की टीम ने 60 मरीजों का अध्ययन करने के बाद सफलता पाई है।

आयुर्वेद कॉलेज के सर्जरी विभाग के डॉ. उज्ज्वल शिवहरे ने नागरमोथा, रसंजन, लंगली, मोचरस, सुंथी और अन्य दवाओं को मिलाकर वटी तैयार की है। उन्होंने केवल रोगियों पर अपना अध्ययन किया। उन्होंने 30 पैकेट तैयार किए। 60 मरीजों को दो हिस्सों में बांटा गया। 30 मरीजों को सुबह और शाम 500 मिलीग्राम दिया। मरीजों को एक महीने तक दवा दी गई। इसके बाद पता चला कि औसतन 15 से 18 दिन में मरीजों का खून बहना बंद हो गया। एक महीने में मरीज पूरी तरह से ठीक हो गया। इस औषधि का नाम रक्ताश्र घनवटी रखा गया।

डॉ. उज्ज्वल के अनुसार इस दवा के साथ ही मरीजों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं इस बारे में भी जागरूक किया गया। उन्होंने कहा कि मरीजों की छह महीने तक निगरानी की गई। एक भी मरीज से दोबारा खून बहने की शिकायत नहीं थी। इस शोध कार्य में विभाग के डॉ. मृगांक शेखर, डॉ. शैलेंद्र और डॉ. टीना सिंघल की भी बड़ी भूमिका रही।

खूनी बवासीर क्यों होता है?

डॉ. उज्ज्वल ने बताया कि खूनी बवासीर में दर्द, खून आना, जलन और खुजली होती है। इस रोग के कारण गुदा की नसें सूज कर गांठ का रूप ले लेती हैं। खूनी पाइल्स की समस्या अक्सर उन लोगों में देखने को मिलती है जो कम पानी पीते हैं या जिनका भोजन का एक निश्चित शेड्यूल नहीं होता है। अगर आप लंबे समय तक बैठे रहते हैं या मसालेदार खाना खाते हैं तो यह भी पाइल्स होने का मुख्य कारण बन सकता है।

उन्होंने बताया कि पाइल्स के शुरुआती दौर में कोई गंभीर समस्या पैदा नहीं होती है। बवासीर को मुख्य रूप से चार ग्रेड में विभाजित किया जाता है और तीसरे और चौथे ग्रेड में रक्त की हानि सबसे आम है। लेकिन जब पाइल्स की वजह से खून की कमी हो जाती है तो इस स्थिति में खूनी बवासीर के रामबाण इलाज की जरूरत होती है। सामान्य तौर पर, उपचार में दवाओं और ऑपरेशन दोनों का उपयोग किया जाता है।

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