Propaganda against Ayurveda: आयुर्वेद के डॉक्टर्स अब जता रहे हैं कड़ा विरोध

Date:

Propaganda against Ayurveda: आयुर्वेद की दवाओं और उसके खिलाफ फार्मा लॉबी के प्रचार के खिलाफ आयुर्वेद के डॉक्टर्स ने लोगों को सच्चाई बताना शुरु कर दिया है। सोशल मीडिया पर आयुर्वेद के प्रमुख वैद्यों ने कहा है कि लंबे समय से आयुर्वेद के खिलाफ प्रचार अभियान चलाया जा रहा है। हमारी दवाओं की वजह से शरीर के अंगों को नुकसान की बात प्रचारित की जा रही है। जबकि सच्चाई इसके उलट है, जोकि लंबे समय से लोगों से छुपाई जा रही है।

आयुर्वेद के मुखर डॉक्टर रंजीत शर्मा ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि Allopathy की बहुत सारी दवाएं किडनी और लीवर को डैमेज करती हैं। steroid, methotrexate जैसी दवाओं के लंबे समय तक इस्तेमाल से लीवर, किडनी और दूसरे अन्य प्रमुख ऑर्गन को नुकसान होता है। लेकिन अधिकांश एलोपैथी और फार्मा लॉबी वाले लोग यह नहीं बताएंगे, बल्कि यह सिर्फ इतना ही बताएंगे कि गिलोय और अश्वगंधा जैसी आयुर्वेद की दवाओं से लीवर और किडनी डैमेज होता है।

IMA Ayush के वाइस प्रेसिडेंट डॉ केशव शर्मा ने कहा कि कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के चलते लोग आयुर्वेद को बदनाम कर रहे हैं, जबकि अधिकांश मामलों में लोगों ने बिना आयुर्वेदाचार्या से सलाह लिए लोग अधिक मात्रा में दवाएं ले लेते हैं, अगर आयुर्वेदाचार्या से सलाह लेकर दवाएं लेते हैं तो कोई परेशानी नहीं होती है। हम किसी भी पैथी का विरोध नहीं करते, लेकिन बीपी का जो मानक है, वो मार्डन मेडिसिन ने बनाया है, जोकि 120/80 फिक्स कर दिया गया है। इसमें बदलाव भी 25 साल पहले ही हुआ था। मतलब किसी भी वजह से चाहे वो मौसम हो, काम का प्रकार हो, या परिस्थिति हो, अगर बीपी बढ़ गया तो आप बीपी के मरीज़ हो गए। इन गैर जरुरी दवाओं का शरीर पर क्या असर होता है, इसका आंकलन भी होना चाहिए।

वैद्य मारिया परेवज़ ने कहा कि, ऐसी बहुत सारी एलोपैथी की मेडिसन हैं, जो ओवर द काउंटर केमिस्ट के पास बिक रही हैं, जिनके बहुत सारे साइड इफैक्ट हैं। इनपर भी रोक लगनी चाहिए। जरुरी है कि जो लोग आयुर्वेद के नाम पर डॉक्टर होने का ढोंग कर रहे हैं, उनपर कार्रवाई होनी चाहिए। ताकि आयुर्वेद को बदनाम करने वालों तत्वों पर रोक लगाई जाए।

आयुर्वेद से पिछले हज़ारों सालों से इलाज होता आ रहा है, लेकिन पश्चिमी देशों के मार्डन लॉबी ने आयुर्वेद को काफी बदनाम किया है और रिसर्च के नाम पर अपनी दवाओं के बुरे असर की बात छुपा ली है। इतने सालों तक मरीज को तुरंत इलाज के नाम पर बहुत सारे मार्डन मेडिसिन के डॉक्टर्स steroid देते हैं, इसकी वजह से बहुत बार मरीजों को किडनी डैमेज जैसे केस भी हुए हैं।

इसपर आनंद मोहन नाम के एक यूजर ने लिखा है कि मैंने खुद आयुर्वेद के इलाज का असर देखा है, लेकिन अंग्रेजी दासता में आज भी लोग जकड़े हुए हैं, जोकि इस सत्य को बोलने से डरते हैं।

दरअसल कोरोना के समय से ही भारत में आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का बोलबाला हो रहा है। आयुर्वेद को लेकर सिस्टम भी पहले से बेहतर हुए हैं और शिक्षा पद्धति में भी एक स्ट्रक्चर बनाया गया है। इसकी वजह से दुनियाभर में आयुर्वेद के इलाज को लेकर जागरुकता आई है। इसकी वजह से फार्मा लॉबी को अपना नुकसान दिख रहा है। लिहाजा आयुर्वेद के बड़े नामों पर लगातार प्रहार किया जा रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Treatment of depression through Ayurveda: योग और आयुर्वेद के जरिए ठीक होगा अवसाद

सर्दियों में सूरज के काम निकालना और मौसम के...

Benifits of Jatamasi: रिसर्च में आई चौंकाने वाली जानकारी, अब लैब में उगाई जा सकेंगी जटामांसी

Benifits of Jatamasi:भारतीय परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों में इस्तेमाल की...

Ayush sector in 10 years: दस सालों में 8 गुना बढ़ी है आयुष इंडस्ट्री

Ayush sector in 10 years: आयुष मंत्रालय में मंत्री...