Social Media for Doctors: मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर्स को social मीडिया के टूल्स से अपनी ब्रांडिंग करने पर रोक लगाने का प्रस्ताव इंडियन मेडिकल कॉउंसिल में लाया गया है। इस प्रस्ताव पर अभी आम लोगों के कमेंट मांगे गए हैं। आम लोगों के कमेंट्स के बाद इस प्रस्ताव पर आगे की कार्रवाई होगी।
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राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के नैतिकता और चिकित्सा रजिस्ट्रेशन बोर्ड (एनएमसी-ईएमआरबी) ने सोमवार को सार्वजनिक कमेंट्स के लिए जारी किए गए मसौदा नियमों का उद्देश्य पिछले 20 सालों से पहले भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा निर्धारित आचार संहिता को बदलना है। दरअसल डॉक्टर्स के लिए जो एथिक्स के नियम बनाए गए हैं, वो 20 सालों से भी पुराने हैं। लेकिन अब मॉर्डन युग में सोशल मीडिया के जरिए डॉक्टर्स अपनी तारीफ या रेटिंग सोशल मीडिया टूल्स के जरिए बढ़ा लेते हैं। इससे प्रभावित होकर आम मरीज़ उस डॉक्टर के पास इलाज के लिए चला जाता है।
बहुत सारे डॉक्टर्स ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सोशल मीडिया पर “लाइक” या “फॉलोअर्स” खरीदते हैं, इससे किसी व्यक्ति के डॉक्टर सर्च करने पर उस डॉक्टर का नाम सबसे ऊपर आता है। इसको रोकने के लिए नए नियम बनाए जा रहे हैं। जिसके लिए ये प्रस्ताव लाया गया है।
मसौदा नियम डॉक्टरों से टेलीमेडिसिन और सोशल मीडिया के बीच अंतर करने और टेलीमेडिसिन का उपयोग ठीक तरह से करने के लिए किया जा रहा है। इस प्रस्ताव पर अगले एक महीने के लिए सार्वजनिक प्रतिक्रियाओं ली जाएंगी।