Mother’s milk in Ayurved: देश में पैदा हुए बच्चों को लेकर दादी नानी अक्सर अपनी कुछ पुरानी परंपराओं का जिक्र करते रहते हैं, लेकिन ये परंपराएं हवा में कही गई बातें नहीं हैं, बल्कि 5 हज़ार सालों से देश में आयुर्वेद का चमत्कार ही है जोकि हमारे खान पान ने हमें बहुत सारी बीमारियों से बचाकर रखा है। अंग्रेजों के शासन के समय भारत में बहुत सारे बदलाव हुए, उनमें बच्चा पैदा होने के बाद उसे कुछ खिलाने की बातें भी सामने आई। लेकिन आयुर्वेद के मुताबिक बच्चों को छह महीने तक नहीं, बल्कि जबतक उनके दांत ना निकलने शुरु हों, तबतक ऊपर से कुछ नहीं खिलाना चाहिए। तब तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध ही पिलाया जाना चाहिए। मां का दूध बच्चे के लिए अमृत समान है। जिन बच्चों ने लंबे समय तक मां का दूध पिया है, उन बच्चों को बीमारियां आसानी से नहीं पकड़ती।
अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान के बच्चों के विभाग के प्रमुख वैद्य राजा गोपाल के मुताबिक, बच्चों के मामले में आयुर्वेद साफ कहता है कि जबतक बच्चों के दांत निकलने शुरु नहीं होते हैं। तब तक बच्चों को ऊपर से कुछ भी नहीं खिलाना चाहिए। बच्चों के शरीर तब ही ऊपर का कुछ पचाने के लायक होता है, जबकि बच्चे के दांत निकलने शुरु होते हैं। एक तरह से कहा जाए तो बच्चों का शरीर जब पचाने लायक हो जाता है, उसके बाद दांत उसका संकेत होते हैं।