Neurotherapy: भारत में आयुर्वेद के तहत आने वाली न्यूरोथैरेपी को लेकर अब लोगों में जागरूकता आने लगी है। इसको लेकर अब जगह जगह न्यूरोथैरेपी वेलनैस सेंटर खुलने लगे हैं। पहली बार न्यूरोथैरेपी को प्रमुख चिकित्सा पद्धतियों के साथ इस्तेमाल किया जाने लगा है। आरोग्य पीठ में न्यूरोथैरेपी की शिक्षा लेने वाले छात्रों के दीक्षांत समारोह में केंद्रीय आयुष राज्यमंत्री डॉ. महेंद्रभाई मंजूपारा ने कहा कि सरकार अब भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों पर ध्यान दे रही है, ताकि लोगों को सस्ती और बेहतर चिकित्सा मिल सकें।
इस कार्यक्रम में आरोग्य भारती के संगठन मंत्री डॉ. अशोक वार्ष्णेय ने कहा कि आयुर्वेद में इस तरह की चिकित्सा पद्धतियों का जिक्र है, लिहाजा ये औपचारिक चिकित्सा पद्धति है। ये पैथी सहज और सरल है। अब आरोग्य योगपीठ इस तरह के न्यूरोपैथिस्ट तैयार कर रहे हैं। ताकि सदूर इलाके में भी सस्ती और बेहतर चिकित्सा आम लोगों को उपलब्ध कराई जा सके।
उन्होंने कहा कि ये थैरेपी बहुत ही सस्ती और असरकारक है। साथ ही ये सरल है, थोड़े से प्रशिक्षण में इसको सिखाया जा सकता है। ये थैरेपी व्यक्ति करते हुए सीखता है। इसलिए ये पद्धति देश की आवश्यकता है।
जीवन शैली के रोगों में कारगर
डॉ. अशोक वार्ष्णेय ने बताया कि देश में 100 में 83 प्रतिशत रोगी जीवन शैली के रोगों से पीड़ित है। अगर व्यक्ति की जीवन शैली ठीक हो जाए तो रोगी जल्द ही ठीक हो सकता है। इस पद्धति का सिंद्धांत है कि एक स्वस्थ्य शरीर अपनी आवश्यकता की सभी चीजें सब खुद ही निर्माण करता है। जो खून के माध्यम से शरीर में सभी जगह पहुंचता है। इस पद्धति में शरीर की रचना को समझा जाता है फिर इसे समझकर इलाज की दिशा मिल जाती है।