केंद्रीय आयुष मंत्रालय (Union Ministry of AYUSH) देशभर में पांच करोड़ लोगों की प्रकृति का परीक्षण करने जा रही है। इस परीक्षण से पता लग जाएगा कि व्यक्ति वात, पित्त या कफ प्रकृति का है। इसके जरिए से उसको होने वाली संभावित बीमारियों को तो रोका ही जा सकेगा, साथ ही अगर कोई बीमारी होगी भी तो उसका इलाज बेहतर तरीके से किया जा सकेगा। प्रकृति परीक्षण के बाद समय समय पर उस व्यक्ति को एप के जरिए से नोटिफिकेशन भेजे जाएंगे और उसको मौसम में होने वाले बदलावों के प्रति सचेत किया जाएगा। दरअसल आयुर्वेद को घर-घर तक पहुंचाने के लिए आयुष मंत्रालय ने एक करोड़ लोगों की प्रकृति परीक्षण का लक्ष्य रखा है, यानी आयुर्वेद के हिसाब से व्यक्ति की प्रकृति क्या है, इसका परीक्षण किया जाएगा और आयुर्वेद से बीमारियां ठीक की जाएगी।
केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री प्रताप राव जाधव के मुताबिक, अगर यह प्रकृति परीक्षण में विभाग और राज्य सरकार है इससे न सिर्फ आयुर्वेद से लोगों का इलाज करना आसान होगा बल्कि सस्ते तरीके से अपने स्वास्थ्य को बेहतर रख पाएंगे। लोगों को आयुर्वेद के माध्यम से हम प्रकृति का परीक्षण करते हैं, अभी तक बहुत सारे लोगों को मालूम भी नहीं किया प्रकृति क्या है। हम ना सिर्फ लोगों को जानकारी देंगे और बल्कि उनको उनके मोबाइल में नोटिफिकेशन जाएंगे कि जैसे हमारे मौसम में बदलाव के मुताबिक, उनका खाना पीना और दिनचर्या कैसी रहनी चाहिए, यह पता लग पाए।
14 हज़ार से ज्य़ादा आयुष हेल्थ कैंप्स
आयुष मंत्रालय ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में 14,692 आयुष हेल्थ कैंप्स लगाए गए है, जबकि मंत्रालय ने सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में 10000 आयुष हेल्थ कैंप्स लगाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन मंत्रालय ने इससे काफी ज्यादा हेल्थ कैंप्स लगाए हैं। मंत्रालय के मुताबिक, इन हेल्थ कैंपस में मरीज की पूरे स्वास्थ्य की जांच की जा रही है और उसे आयुर्वेद, योग, युनानी, सिद्धा और होम्योपैथी के जरिए से दवाइयां दी जा रही है। दरअसल पिछले कुछ सालों से देश में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार इस तरह के आयुष कैंपस आयोजित कर रही है। जिसमें दूर दराज के इलाकों में भी आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी और सिद्धा समेत योग के जरिए से भी बीमारियों का इलाज किया जा रहा है।