Food habits in Ayurveda: अगर बीमार नहीं होना चाहते तो भूख लगने पर कितना खाएं?

Date:

Food habits in Ayurveda: आयुर्वेद में खाने पर और उसके तरीके पर बहुत ही ध्यान देने के लिए कहा जाता है, यानी जब भी खाएं तो हमेशा ध्यान रखें कि कौन सा खाना खा रहे हैं, किस मौसम में खा रहे हैं और कितना खा रहे हैं। आज हम आपको कितना खाना चाहिए इसके बारे में बता रहे हैं। आयुर्वेद का एक श्लोक है,

“गुरूणाम् अर्धसौहित्यं लघूनां नातितृप्तता” । – अष्टांगहृदय, सूत्रस्थान, अध्याय ८, श्लोक २

इसका मतलब है की अगर भारी पदार्थ मसलन, मांसाहार, तला-भूना, गरिठ दाल या अन्य धीमा पचने वाला खाना खा रहे हैं तो जितनी भूख हो, उसका आधा ही खाया जाए। बहुत बार हम भूख से अधिक खाना खा लेते हैं या भूख तक खाना खा लेते हैं, इसको भी आयुर्वेद में बेहतर स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना गया है।

आयुर्वेदिक ग्रंथों के मुताबिक, पाचन में अगर कोई पदार्थ भारी हो तो उसे तृप्त होने तक ही खाया जाना चाहिए यानी आधा पेट खाली रहे इतनी मात्रा में ही खाया जाना चाहिए। पाचन के लिए हल्के पदार्थों को मन तृप्त होने तक खाया जाना चाहिए, लेकिन भूख से ज्यादा खाना खाना बेहतर स्वास्थ्य के लिए खराब है। हमें भोजन करते समय पेट को दो हिस्सों में समझ ले, इसमें आधा भोजन एक भाग पानी और एक भाग हवा के लिए रखना चाहिए। अगर हम जरूरत से ज्यादा खाएंगे तो वात, कफ और पित्त तीनों ही दोष लगेंगे। तीनों के बढ़ने से बीमारियां उत्पन्न होती है, बहुत बार हमें वह बीमारी तुरंत समझ में नहीं आती है, लेकिन धीरे-धीरे करके शरीर में वात कफ और पित्त का बिगड़ना बड़ी बीमारियों को जन्म देता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

देश में पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ाने के लिए 10 नए आयुष संस्थान खोलेगी केंद्र सरकार

देश में पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को ज्य़ादा से ज्य़ादा...

नींद से जुड़ी समस्याओं का आयुर्वेदिक तरीके से दूर करेगा AIIA

अगर आपको नींद आने में कोई समस्या है और...

रसोई में उपलब्ध किन सात चीजों से शरीर के टॉक्सिक को निकालें बाहर

पिछले कुछ सालों में लोगों में सबसे बड़ी बीमारी...