आयुर्वेद के ग्रंथ चरक संहिता (Charak Sanhita) में हज़ारों साल पहले बताया गया है कि तीन द्रव्यों, लवण यानि नमक, पिपली और क्षार का उपयोग अधिक नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद के वैद्य और डॉक्टर्स इसको लेकर बहुत ही सजग रहते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी स्वास्थ्य के प्रति असंवदेनशील और जानकारी के अभाव में नमक का उपयोग दुनियाभर में बहुत ज्य़ादा होता है। इसकी वजह से बहुत सारे लोगों की मौत तक हो रही है। अब मार्डन स्टडीज़ भी इस बात को मान रही है कि इन द्रव्यों की अधिकता से स्वस्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (New England Journal of Medicine) में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में ज्य़ादा नमक खाने की वजह से हर साल 16.5 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में औसतन लोग 3.98 ग्राम नमक रोज़ाना खा रहे हैं, जबकि डब्लूएचओ के मुताबिक औसतन 2 ग्राम नमक रोज़ाना लिया जा सकता है। ज्य़ादा नमक खाने की वजह से शरीर में सोडियम की अधिकता हो जाती है और इससे दिल संबंधी रोग होने लगते हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Reseach) के मुताबिक, भारतीयों में नमक खाने की आदत बहुत ज्यादा है, भारत में औसतन रोज़ाना 7.6 ग्राम नमक खाने में लिया जा रहा है, जोकि दो ग्राम से बहुत ज्य़ादा है। इसी वजह से भारत में हर चार में से एक व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से परेशान हैं।
इस बारे में टिप्पणी करते हुए राष्ट्रीय औषधिय बोर्ड के सीईओ प्रो. महेश दधिचि ने कहा कि, चरक संहिता में लिखा है कि, त्रीणि द्रव्याणि न अति भुंजीत पिप्पली क्षार लवणस्तथा ( चरक ) यानि तीन द्रव्यों का प्रयोग अधिक नहीं किया जाना चाहिए, इनमें लवण यानि नमक, पिपली और क्षार है।