आयुर्वेद और पारंपरिक भारतीय चिकित्सा (Ayurveda and traditional Indian medicine) में पिछले दस सालों में काफी बढ़ोतरी हुई है। आयुष मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में आयुष के फिलहाल 7.55 लाख से ज्य़ादा मेडिकल प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टर्स (medical practicing doctor) काम कर रहे हैं। जबकि देश में 886 अंडरग्रेजुएट आयुष मेडिकल कॉलेज (Undergraduate Ayush Medical College) हो गए हैं। पिछले दस सालों में आयुष क्षेत्र की उपलब्धियों पर आयुष मंत्रालय के एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें 2003 में अटल सरकार के आयुष को पहली बार डिपार्टमेंट बनाने से लेकर 2014 में इसके एक मंत्रालय बनाए जाने के बाद से अभी तक का डेटा दिया गया है।
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आयुष क्षेत्र में पिछले दस सालों (2014-24) में हुए ट्रांसफार्मेशन को बताया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, आयुष क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएट के 251 कॉलेज हो गए हैं। इस दौरान देश में आयुष हॉस्पिटल की संख्या भी बढ़कर 3844 तक पहुंच गई है। जबकि आयुष की दवा बनाने वाली मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स की संख्या भी बढ़कर 8648 तक पहुंच गई हैं। दरअसल आयुर्वेद, यूनानी और अन्य पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को तवज्जों देने का काम सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय शुरु हुआ था, उस समय पहली बार आयुष को नाम देने के साथ साथ स्वास्थ्य मंत्रालय में इसका अलग से एक विभाग बनाया गया था। लेकिन मोदी सरकार के आने के साथ ही पहली बार आयुष को एक विभाग की बजाए पूरा मंत्रालय बना दिया गया था।
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आयुष मंत्रालय के बनने के साथ साथ आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद और अन्य भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को मार्डन तरीके अपडेट करने का काम शुरु किया था। इसी वजह से ही योग को अंतरराष्ट्रीय तौर पर ना सिर्फ भारतीय होने का गौरव प्राप्त हुआ बल्कि डब्लूएचओ (WHO) ने भी भारत में पहली बार पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का सेंटर भी शुरु कर दिया।