CloUse of clove in Ayurveda:: भारत की रसोई औषधी या दवाओं से भरी हुई कहा जाता है। भारत की रसोई में लौंग का विशेष स्थान होता है। दांत के दर्द और मुख शुद्धि में तो लौंग का प्रयोग सैंकड़ों सालों से हो रहा है। लेकिन लौंग दिल, किड़नी और डिप्रेशन में भी बहुत उपयोगी होती है। लौंग को ज्य़ादातर दर्द निवारक माना जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विशेष गुणों की वजह से इसे सैकड़ों हज़ारों सालों से आयुर्वेद में प्रयोग किया जा रहा है।
चित्रकुट के मशहूर आयुर्वेद डॉ. मदन गोपाल वाजपेयी के मुताबिक कोई ऐसे अक्षर नहीं है जो मंत्र का कार्य का काम नहीं करता और ना ही ऐसा कोई द्रव्य नहीं है जो औषधी के तौर पर काम ना करता हो। लौंग भारत की बहुत ही प्राचीन औषधी है। बहुत सारे पुराने ग्रंथों में इसका जिक्र है। चाहे वो चरक रिषी हो या फिर शुश्रत रिषी हों। सभी ने इसका जिक्र किया है।
खाने के बाद लौंग मुंह में रखने से इसका पाचन तंत्र पर तुरंत असर पड़ता है। ये भोजन को तुरंत पचा देती है। इससे शरीर में बल शक्ति तो आती ही है। आपके पेट से संबंधित बीमारियां भी कंट्रोल में रहती हैं। इसके द्रव्य गुणों की वजह से ये डिप्रेशन को भी दूर करती है। मन को खुश करती है।
आयुर्वेद के द्रव्यगुण विशेषज्ञ डॉ.जसमीत सिंह के मुताबिक लोंग में 14 परसेंट एसेंसिएयल ऑयल है। जिसमें यूजीनॉल होता है। ये बहुत ही तेज़ी से शरीर पर काम करता है। ये दर्द कम करने में बहुत मदद करता है। उल्टी, दर्द पर काम करता है। फ्लोराइड की एक्टीविटी को बढ़ा देता है। इससे दर्द कम करता है और जकड़न को कम करता है। लौंग के औषधी गुण को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिल गई है। इसको एफडीए ने भी प्रमाणित किया है।