Advisory on Aswagandha: आयुष मंत्रालय ने अश्वगंधा के पत्तों का इस्तेमाल किसी भी दवा या फूड सप्लीमेंट में करने वाली कंपनियों के उत्पादों के इस्तेमाल पर एडवाइज़री जारी की है। सरकार की एडवाइज़री के मुताबिक पिछले कुछ समय में अश्वगंधा पौधों की पत्तियों से रस निकालकर उन्हें फूड सप्लीमेंट और अन्य दवाओं में मिलाकर देने के नाम पर कई तरह के प्रोडक्ट मार्केट में आ गए थे। लेकिन इनपर को रिसर्च अभी तक नहीं हुई है। आयुर्वेद की किताबों में अश्वगंधा के जड़ों के इस्तेमाल को कहा गया है। लेकिन पत्तियों से बनी किसी दवा का जिक्र नहीं है। लेकिन कुछ कंपनियां फूड सप्लीमेंड और दवाओं के नाम पर अपने उत्पाद बेच रही है। इसको देखते हुए आयुष मंत्रालय के ड्रग पॉलिसी विभाग ने इस तरह के फूड सप्लीमेंट और दवाओं से बचने के लिए सलाह दी है। अपनी एडवाइज़री में विभाग ने कहा है कि बाज़ार में ओटीसी दवाओं के तौर पर अश्वगंधा के पत्तों वाले कई प्रोडक्ट मिल रहे हैं। जिनके असर के बारे में कोई रिसर्च नहीं हुई है। ऐसे में इन दवाओं के उपयोग से बचने की सलाह दी है।
![](https://ayurvedindian.com/wp-content/uploads/2021/10/asagandha2.png)
अपनी एडवाइज़री में मंत्रालय ने कहा है कि ना तो आयुर्वेद में, ना ही यूनानी और सिद्धा में अश्वगंधा की पत्तियों के इस्तेमाल का कोई जिक्र मिला है और ना ही पत्तियों के इस्तेमाल और उसके फायदों पर कभी कोई रिसर्च हुई है। ऐसे में इस तरह की दवाओं को फूड सप्लीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
अश्वगंधा
अश्वगंधा एक जड़ी-बूटी है। अश्वगंधा का उपयोग कई तरह रोगों में किया जाता है। इसका इस्तेमाल मोटापा घटाने, बल और वीर्य विकार को ठीक करने में भी होता है। इसके साथ ही अश्वगंधा के कई और भी फायदे आयुर्वेद में बताए गए हैं। इसका अत्यधिक सेवन करने से सेहत को नुकसान भी हो सकता है।
अश्वगंधा के कुछ खास औषधीय गुणों के कारण इसका उपयोग तेज़ी से बढ़ा है।
अश्वगंधा क्या है?
अलग-अलग देशों में अश्वगंधा कई प्रकार की होती है, लेकिन असली अश्वगंधा की पहचान करने के लिए इसके पौधों को मसलना पड़़ता है। अगर इसमें घोड़े के पेशाब जैसी गंध आती है, तो ये असली अश्वगंधा है। अश्वगंधा की ताजी जड़ में यह गंध अधिक तेज होती है। जंगल में पाए जाने वाले पौधों की तुलना में खेती कर उगाए जाने वाले अश्वगंधा की गुणवत्ता अच्छी होती है।
छोटी असगंध (अश्वगंधा)
इसका पौधा छोड़ी झाड़ी के तौर पर होने से यह छोटी असगंध कहलाती है, लेकिन इसकी जड़ें काफी बड़ी होती है। राजस्थान के नागौर में यह काफी अधिक पाई जाती है और वहां के जलवायु के प्रभाव से यह विशेष शक्तिशाली होती है। इसीलिए इसका नाम नागौरी असगंध पड़ गया हैं।
बड़ी या देशी असगंध (अश्वगंधा)
इसका पौधा बड़ा और झाड़ी के तौर पर होता है, लेकिन जड़ें छोटी और पतली पाई जाती है। यह बाग-बगीचों, खेतों और पहाड़ी स्थानों में आसानी से मिल जाता है।