Medicinal plants production: देश में गुणवत्ता वाले औषधीय उत्पादों (Medicinal production) की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने देश में औषधीय पौधों की खेती (Farming of medicinal plants) में बढ़ोतरी पर फोकस करने के लिए कहा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बजट में खेती पर बात करते हुए कहा कि गंगा नदी के दोनों किनारों पर औषधीय पौधों की खेती को बल दिया जा रहा है। हमें बाहर की नकल करने की बजाए भारत में मौजूद फलों और उनके जूस की ब्रांडिंग व प्रमोशन करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
दरअसल देश में आयुर्वेदिक इंडस्ट्री इन दिनों गुणवत्ता वाले औषधीय उत्पादों की इन दिनों भारी मांग है, लेकिन इनका उत्पादन नहीं बढ़ रहा है। लिहाजा देश में औषधीय पौधों की भारी कमी हो गई है, इससे ना सिर्फ दवा बनाने में काम आने वाले इन पौधों की कीमत काफी बढ़ रही है। साथ ही बाज़ार में मिलावटी उत्पाद भी आने लगे हैं। इससे आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कंपनियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
एमिल के डायरेक्ट संचित शर्मा ने आयुर्वेद इंडियन को बताया कि बाज़ार में गुणवत्ता वाले औषधीय पौधों की भारी कमी है। जो अच्छी गुणवत्ता वाले पौधे हैं, उनकी मांग विदेशों में भी बहुत ज्य़ादा हो गई है। लिहाजा भारत में आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए कच्चा माल मिलना मुश्किल हो रहा है। हालांकि हम अपने उत्पादन के लिए सीधे किसानों से औषधीय उत्पाद खरीद रहे हैं।
कोरोना काल में आयुर्वेदिक दवाओं की मांग काफी बढ़ गई है। जबकि विदेशों में एक्सपोर्ट भी काफी बढ़ा है। ऐसे में देश में अच्छे औषधीय पौधों से मिलने वाले कच्चे माल की कमी हो गई है। ऑल इंडिया मेडिसनल प्लांट पर किए एक सर्वे के मुताबिक पिछले कुछ सालों में इन औषधीय पौधों पर आधारित कच्चे माल की मांग में 50 परसेंट से ज्य़ादा का इजाफा हुआ है। जबकि इसकी घरेलू सप्लाई 25 परसेंट से ज्य़ादा गिरी है। ऐसे में देश में औषधीय पौधों की गुणवत्ता में कमी आई है।