अगर आप परम्परागत लकड़ी के कोल्हू से निकले हुए सरसों के तेल (Mustard oil extracted from traditional wooden crusher) का इस्तेमाल करते हैं तो आपको कैंसर होने की आशंका कम होगी, यह हम नहीं बल्कि विश्व प्रसिद्ध रिसर्च जर्नल ‘फूड केमिस्ट्री (Food Chemistry)’ में प्रकाशित रिसर्च बताती है। इस रिसर्च के मुताबिक, कोल्हू से निकाले हुए सरसों के तेल में ऑउरेन्टियामाइड एसीटेट (Aurantiamide Acetate) नामक एन्टी कैंसर कम्पाउण्ड पाया जाता है। जोकि कैंसर से बचाने में बहुत मदद करता है।
इस रिसर्च के मुताबिक, भारत में सरसों के दानों में बहुत सारी ऐसी प्रापर्टी होती हैं जोकि स्वास्थ्य के लिए बहुत ही बेहतर हैं। फिर चाहे वो पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, आहार फाइबर, β-कैरोटीन, विटामिन, पॉलीफेनॉल और विभिन्न ट्रेस तत्वों (उदाहरण के लिए Zn, Mg, Se, P, Fe, Mg, Mn, Cu) हों। इनकी उपस्थिति इन बीजों को प्रकृति में अत्यधिक पौष्टिक बनाती है (अलेक्जेंडर) एट अल., 2020, नेदा एट अल., 2020, राहुल एट अल., 2023). अमीनो एसिड व्युत्पन्न सल्फर युक्त ग्लाइकोसाइड और ग्लूकोसाइनोलेट्स सरसों के बीज में मौजूद अन्य महत्वपूर्ण फाइटोकंपाउंड हैं। भारतीय सरसों में बड़ी संख्या में पॉलीफेनोल्स जैसे कैफिक एसिड, फेरुलिक एसिड, एपिगैलोकैटेचिन गैलेट, सिनापिक एसिड, वैनिलिक एसिड, एपिकैटेचिन गैलेट, पी-कौमरिक एसिड, नरिंगिन, क्लोरोजेनिक एसिड, वैनिलिन, रुटिन, प्रोएंथोसायनिडिन, प्रोटोकैटेचिन एसिड, कैटेचिन, गैलिक एसिड (फैंग) एट अल., 2008); और सरसों के बीज में बड़ी संख्या में ग्लूकोसाइनोलेट्स ग्लूकोब्रासिसिन, प्रोगोइट्रिन, ग्लूकोराफेनिन, ग्लूकोइबेरिन, ग्लूकोनापाइन और नियोग्लूकोब्रासिसिन भी पाए गए हैं।
भारत में लंबे समय से सरसों के तेल का इस्तेमाल खाने और दूसरे उपयोगों में होता है। कोल्हू के तेल को आयुर्वेद में खाने के साथ साथ अन्य कई तरह से इस्तेमाल के लिए बताया गया है। लेकिन पिछले कई दशकों में लोगों ने परंपरागत तरीके से निकाला हुआ सरसों का तेल इस्तेमाल करना बंद कर दिया। अब यह मार्डन स्टडी में भी यह पाया गया है कि परंपरागत तरीके से निकाला गया कोहलू का तेल स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है
आयुर्वेदिक संस्था पतंजलि के मुताबिक यह प्रमाणित हो गया है कि सिर्फ परम्परागत लकड़ी के कोल्हू से निकाला हुआ #सरसों_का_तेल #कैंसर से बचाने के साथ-साथ कैंसर को ठीक करने में भी मदद करता है। यह हम नहीं कह रहे अपितु विश्व प्रसिद्ध रिसर्च जर्नल भी प्रामाणित कर रहा है। सदियों पुरानी कोल्हू से तेल निकालने की परम्परा न केवल वैज्ञानिक है। भारत में खाने के तेल के इस्तेमाल में दुनिया में सबसे प्रमुख देश है।