Cataract-Motiabind को ठीक करने के अचूक औषधी है त्रिफलाघृत

Cataract-Motiabind- मोतियाबिंद एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में लोग अक्सर सोचते हैं कि यह सिर्फ ऑपरेशन से ही ठीक हो सकती है, लेकिन आयुर्वेद के जरिए यह बीमारी बिना किसी ऑपरेशन के ठीक की जा सकती है। इस बीमारी को लेकर आयुर्वेद में बहुत सारे शोध भी किए गए हैं। जिनमें क्लिनिकल ट्रायल्स के जरिए इस बीमारी को ठीक किया गया है। आयुर्वेद में इस बीमारी को तिमिरा भी कहा जाता है। लगभग सभी प्राचीन ग्रंथों में इस बीमारी का जिक्र मिलता है। लेकिन मार्डन समय को देखते हुए इस बीमारी के पारंपरिक इलाज के हिसाब से क्लिनिकल ट्रायल्स भी किए गए हैं।

कैसे होती है यह बीमारी

इस बीमारी के होने की बड़ी वजह लगातार कंप्यूटर्स, मोबाइल पर या अन्य तरीके के पास की नज़र के कार्य करने से आंखों की पुलती पर एक जाला जैसा हो जाता है। जो फैलने लगता है। इस मोतियाबिंद कहा जाता है। नेत्र रोग का सबसे भयावह परिणाम अंधापन है। सभी नेत्र रोगों में से तिमिरा को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जो देखने में कठिनाई पैदा करता है। इसका उचित निदान और उपचार करने में काफी सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। यह देखा गया है कि जो व्यक्ति अधिक नजदीक के काम में लिप्त होता है जैसे कंप्यूटर मॉनीटर पर काम करना, सिलाई का काम, कढ़ाई का काम, माइक्रोस्कोप पर काम करना और अन्य पेशेवर जिनमें बारीक काम की आवश्यकता होती है, उनमें कम उम्र में ही प्रेस्बायोपिया विकसित हो जाता है। इन सभी कारकों के कारण प्रेस्बायोपिया दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है।

आयुर्वेद के मुताबिक, तिमिरा- प्रेस्बायोपिया रोग वात के बढ़ने की वजह से त्रिदोषज स्थिति होती है। जिसका वर्णन विभिन्न आचार्यों अपने अपने ग्रंथों में किया गया है।

आयुर्वेदिक कॉलेज वरोदरा के प्रो. दिनेश सिंह गौर ने इस बीमारी को कैसे ठीक किया जाता है, इसपर एक शोध किया था, जिसके मुताबिक त्रिफला धृत यानि एक तरह की औषधी का उपयोग 30 मरीजों के दो बैच पर किया गया। एक बैच को यह खाने के लिए दिया गया, जबकि दूसरे बैच को खाने और तर्पणा के जरिए यह औषधी दी गई। एक महीने के इस्तेमाल के बाद मरीजों के इस समूह में पहले और दूसरे समूह को इस बीमारी से काफी हद तक कमी देखी गई। हालांकि दूसरे समूह पर ज्य़ादा असर देखा गया।

प्याज, भीमसेनी कपूर और शहद भी मददगार

आयुर्वेदाचार्या कृतिका के मुताबिक, प्याज, भीमसेनी कपूर और शहद की मदद से आप अपनी आंखों के धुंधलेपन को वापस लाने के साथ ही मोतियाबिंद की समस्या को कम किया जा सकता हैं। प्याज, भीमसेनी कपूर और शहद को आप एक साथ पीस लें और फिर इसे सूरमा बनाकर रोजाना अपनी आंखों पर लगाएं। इससे आपको कुछ ही दिनों में अपनी आंखों पर असर देखने को मिलेगा। हालांकि यह उपचार किसी आयुर्वेदाचार्या के परामर्श लेकर ही किया जाना चाहिए। 

गिलोय और त्रिफला

गिलोय शरीर की बहुत सारी बीमारियों को दूर भगाने में काम आता है। आंखों के लिए भी गिलोय बहुत बेहतर औषधी है। मोतियाबिंद जैसी समस्याओं से भी दूर रख सकता है। ऐसे ही त्रिफला और गिलोय की मदद से आप आसानी से मोतियाबिंद को दूर कर सकते हैं। इसके लिए आप गिलोय और त्रिफला को अच्छी तरह से पीसकर एक पाउडर बना लें। अब आप इसे रोजाना पानी के साथ पिएं, इससे आप जल्द ही अपनी आंखों को स्वस्थ होता देखेंगे। 

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