नौतपा में क्यों हो जाती है गर्मी से कुछ लोगों की मृत्यु, कैसे रखें इस मौसम में स्वास्थ्य का ध्यान

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डॉ. महेश दधिच

CEO at National Medicinal Plants Board

पूरे देश में इस समय भीषण गर्मी पड़ रही है, उत्तर भारत में तो इस गर्मी की वजह से कई लोगों को मृत्यु तक हो रही है। इस नौ दिन के समय को भारत में नौतपा कहते हैं। इस समय हर साल सबसे अधिक गर्मी पड़ती है। लेकिन इस गर्मी में कुछ लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। कई लोग बहुत अधिक बीमार तो कुछ की अचानक मृत्यु तक हो जाती है। आखिर लू लगने से मृत्यु क्यों होती है?

इसको जानने के लिए लिए हमें हमारे शरीर को समझना होगा…

👉हम सभी #धूप में घूमते हैं फिर कुछ लोगो की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है?

👉हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37° डिग्री सेल्सियस होता है, इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है।

👉पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37° सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है, लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है।

👉पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है। (बंद कर देता है )

👉 जब बाहर का टेम्प्रेचर 45° डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37° डिग्री से ऊपर पहुँचने लगता है।

👉 शरीर का तापमान जब 42° सेल्सियस तक पहुँच जाता है तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त मे उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है ( जैसे उबलते पानी में अंडा पकता है )

👉 स्नायु कड़क होने लगते है इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं।

👉 शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर low हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग (विशेषतः ब्रेन ) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है।

👉 व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक- एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है।

👉गर्मी के दिनों में ऐसे अनर्थ टालने के लिए लगातार थोडा थोडा पानी पीते रहना चाहिए, और हमारे शरीर का तापमान 37° मेन्टेन किस तरह रह पायेगा इस ओर ध्यान देना चाहिए।

Equinox phenomenon:

इक्विनॉक्स प्रभाव अगले 5 -7 दिनों मे एशिया के अधिकतर भूभाग को प्रभावित करेगा।

कृपया 12 से 3 के बीच ज्यादा से ज्यादा घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें।

अधिक तापमान शरीर मे निर्जलीकरण और सूर्यातप की स्थिति उत्पन्न कर देगा।

(ये प्रभाव भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर सूर्य चमकने के कारण पैदा होता है।)

जहां तक सम्भव हो ब्लड प्रेशर पर नजर रखें। किसी को भी हीट स्ट्रोक हो सकता है।

एक बिना प्रयोग की हुई मोमबत्ती को कमरे से बाहर या खुले मे रखें, यदि मोमबत्ती पिघल जाती है तो ये गंभीर स्थिति है।

शयन कक्ष और अन्य कमरों मे 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रख कर कमरे की नमी बरकरार रखी जा सकती है।

#क्या करे….

1. शरीर मे पानी की कमी न होने दें, मटकी का पानी पीयें, फ्रीज़ का ठंडा पानी पीने से बचे

2. यदि आप किसी कार आदि से यात्रा कर रहे हो तो AC को 5-10 मिनट पहले बन्द कर दे फिर ही धूप में गाड़ी से उतरे ताकि एकदम ठंडा गरम होने से लू लगने से बचाव हो सके

3. किसी भी अवस्था मे कम से कम 3 ली. पानी जरूर पियें। किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम 6 से 8 ली. पानी जरूर लें।

4. अपने होठों और आँखों को नम रखने का प्रयत्न करें।

5. निम्बू पानी, पोदीना का प्रयोग करे

6. आमपना का प्रयोग करे

7. राबड़ी का प्रयोग करे

8. इमली के पानी का प्रयोग करे

9. कच्चे प्याज अपने खाने में जरूर शामिल करें

10. सत्तू को पानी मे घोलकर खाने शामिल करे

11. खीरा, तरबूज आदि फलों और सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें।

12. बिना बर्फ का ताजा निकला गन्ने का रस पिये

13. ठंडे पानी से नहाएं

14. कूलर का प्रयोग करे या ठंडे स्थान पर रहे

15. AC कूलर से निकलकर अचानक धूप में जाने से बचे, यदि जाना जरूरी हो तो 5-10 मिनट पहले ये उपकरण बन्द कर दे फिर थोड़ा पसीना आने लगे तब ही बाहर निकले

16. धूप में आकर अचानक फ्रीज़ का ठंडा पानी नहीं पियें 5-10 बैठकर फिर मटकी का पानी ही पिये।

17. भूखे पेट बाहर बिल्कुल न जाये

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