केंद्रीय आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा है कि आयुर्वेद चिकित्सक आज खुद के नाम के आगे डॉक्टर लिखवाते हैं, जबकि मेरे निजी विचार हैं की उन्हे हमारी सांस्कृतिक विरासत को ही अपनी पहचान बनाते हुए एक “वैद्य” के रूप में ही अपना परिचय देना चाहिए। आयुर्वेदिक चिकित्सा और पर्यटन पर एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय आयुष मंत्री ने कहा कि डॉक्टर और वैद्य एक ही होते हैं पर भाषा और संस्कृति का अंतर समाज में अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है, भाषा का गहरा संबंध भरोसे से होता है। मेरा मत और निवेदन है की आप सभी आयुर्वेद के चिकित्सक खुद को “वैद्य” के रूप में संबोधित कर हमारी पौराणिक चिकित्सा पद्धति को पुनः नया आयाम दें।
कार्यक्रम में उन्हें कहा कि, “नाम के आगे डॉक्टर के बजाय अगर वैद्य लिखना शुरू कर देंगे तो निश्चित रूप से आयुर्वेद का प्रचार भी ज्यादा होगा। उन्होंने कहा कि अगर हम नाम के आगे डॉक्टर लिखेंगे तो लोग हमसे एलोपैथी की ट्रीटमेंट की अपेक्षा रखेंगे। लेकिन अगर आप वैद्य लिखेंगे तो लोग मरीज आपसे आयुर्वेद की ट्रीटमेंट लेने की इच्छा के साथ आपके पास आएंगे। नाम में भी बहुत ताकत होती है, जो भी हम लिखते हैं, उसमें भी बहुत ताकत होती है।
कार्यक्रम में केंद्रीय आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा और वैद्य त्रिगुणा जी का जिक्र करते हुए केंद्रीय आयुष मंत्री ने कहा कि इन दोनों से शिक्षा लेते हुए नए आयुर्वेदाचार्यों को अपने नाम के आगे वैद्य लिखना चाहिए।