
एक समय था जब भारत में खांसी और सांस (cough-lungs) संबंधी बीमारियों के लिए आम लोग भी डॉक्टर या वैद्य के पास जाने की बजाए घर में काढ़ा बनाकर पीते थे और इससे ही ज्य़ादातर मामलों में खांसी ठीक हो जाती थी। अधिकांश घरों में दशमूल की जड़ रहा करती थी, लेकिन अब यह घरों के साथ साथ पंसारी की दुकानों से भी गायब हो गया है।
खांसी और अन्य सांस की बीमारियों को लेकर आचार्य कहते हैं कि यदि किसी व्यक्ति को खांसी की समस्या हो या फिर बार-बार सांस फूलती है तो दशमूल का काढ़ा पिलाया, जाना चाहिए। आचार्य कहते हैं कि दशमूल की एक चम्मच को एक गिलास जल में मिला दीजीए और इसे धीमी आंच पर गर्म किजिए। जब यह आधा रह जाए तो इसे ठंडा होने दिया जाए। इसके बाद इसे छान लीजिए और जिस व्यक्ति को खांसी या सांस संबंधी बीमारी है, उसे दिन में तीन या चार बार पिलाया जाए। उसे किसी भी तरह की खांसी हो किसी भी तरह की फेफड़ों में परेशानी हो, चाहे सांस चलती हो या चलने में सांस फूलती हो या फिर हिचकी आती हो तो इससे उसे जरुर लाभ होगा।
क्या होता है दशमूल
दशमूल दस तरह की जड़ों का बनी हुई एक औषधी होती है। जिसमें बिल्वा, अग्निमंथा, श्योनाका, पाटला, गंभरी, बृहती, कंटकारी, गोक्षृरा, शालपर्णी और प्रिश्रापर्णी बराबर मात्रा में मिलाए जाते हैं।