
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल के बाद शुरु हुए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के बाद देश और दुनिया में ना सिर्फ लोगों की रुचि योग में बढ़ी है, बल्कि योग को लेकर बहुत सारे नए शोध होने भी शुरु हो गए हैं। रिसर्स संस्थान पहले इंडिया फाउंडेशन की एक रिसर्च के मुताबिक, पिछले दस सालों में योग को लेकर दुनिया का नजरिया बदल गया है। PIF के मुताबिक, जनवरी 2001 से लेकर दिसंबर 2024 तक डब्लूएचओ के पास योग को लेकर 3274 क्लिनिकल ट्रायल्स रजिस्टर हुए हैं। जबकि ध्यान यानि मेडिटेशन को लेकर 1850 क्लिनिकल ट्रायल्स रजिस्टर हुए हैं। भारत इन ट्रायल्स में सबसे ऊपर है। इसके बाद अमेरिका, आस्ट्रेलिया, ईरान और ब्रिटेन से लेकर जापान तक भी योग और मेडिटेशन पर क्लिनिकल ट्रायल कर रहा है। इसमें भारत लगभग 60 परसेंट क्लिनिकल ट्रायल कर रहा है। जबकि इसके बाद अमेरिका में योग और मेडिटेशन पर लगभग 29 परसेंट क्लिनिकल ट्रायल्स हो रहे हैं।
यह भी पढ़ें: BIS standerd for yoga: योग सिखाने और योगा जिम के लिए न्यूनतम ट्रेनिंग होगी जरुरी
मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद योग पर 745 क्लिनिकल ट्रायल्स हुए हैं, जबकि मेडिटेशन के जरिए बीमारियों के इलाज पर 776 क्लिनिकल ट्रायल्स हुए हैं। जबकि इससे योग और मेडिटेशन पर इससे आधे ही क्लिनिकल ट्रायल्स हो रहे थे। इसी तरह योग और मेडिटेशन पर लिखे जाने वाले रिसर्च पेपर्स में भी बहुत बढ़ोतरी हुई है। पिछले 10 सालों में योग पर 6075 रिसर्स पेपर छपे हैं, जबकि इससे पहले यह संख्या 2934 ही रही थी। इसी तरह मेडिटेशन पर भी 6746 रिसर्च पेपर छपे हैं, जबकि इससे पहले यह 4051 ही थे।
यह भी पढ़ें: रोजाना योग का अभ्यास करने से मिलेंगे ये 10 फायदे, तन और मन रहेगा स्वस्थ
इस बारे में पहले इंडिया फाउंडेशन के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर रवि पोखरना ने बताया कि 2014 में मोदी सरकार ने सरकार में आने के बाद आयुष को एक विभाग की बजाए पूरा मंत्रालय बना दिया। इससे पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को बहुत बढ़ावा मिला। सरकार ने भी आयुर्वेद, योग और ध्यान के साथ साथ अन्य पारंपरिक चिकित्साओं पर नई रिसर्च को बढ़ावा दिया। साथ ही सरकार के प्रयास से संयुक्त राष्ट्र के 21 जून को योग दिवस घोषित करने के बाद इस क्षेत्र में बहुत बदलाव आया।