Uric acid : जानिए यूरिक एसिड से बचने के उपाये

अगर यूरिक एसिड से बचना है तो आप घरों मे जो भी दाल खाते हो उन दालो को पकाने से पहले पानी में भिगो कर रख ले और जब वे अच्छे से भीग जाए अंदर तक तब उन्हे पकाये और वो भी खुले बर्तन में पकाए व झाग को निकालकर प्रयोग करे, ऐसा करने से यूरिक एसिड आपसे कोसों दूर रहेगा |

इन दिनों लोगों को यूरिक एसिड की दिक्कत बहुत ज्यादा होने लगी है। इसका मुख्य कारण रवानपान में लापरवाही और बिगड़ी हुई जीवनशैली है।

यह माना जाता है की खून मे यूरिक एसिड का स्तर इस बात पर निर्भर करता है की हम अपने रोजाना के जीवन मे किस प्रकार की फल और सब्जियों का सेवन करते हैं। यूरिक एसिड का उच्च स्तर दर्द का कारण बनता है। जब आपके पैर सूज जाते हैं या आपकी पीठ में बेतहाशा दर्द होने लगता है, तो आप फिश करी में मौजूद टमाटर को दोष देते हैं या सलाद में डाले गए खीरा, प्याज और अनार को। यदि आपके यूरिक एसिड का स्तर असल में बहुत ज्यादा है, तो इसका कारण आपके द्वारा सेवन की गई शराय या आधी चॉकलेट भी हो सकती है।

क्या है यूरिक एसिड

यूरिक एसिड हमारे शरीर में मौजूद एक केमिकल है, जिसके उच्च स्तर से गाउट वा गठिया जैसी पुरानी बीमारियां हो सकती हैं। शरीर में बहुत ज्यादा मात्रा में यूरिक एसिड होने से जोड़ों में यूरेट क्रिस्टल जमा हो सकता है, जिसके कारण वहां बहुत तेज दर्द हो सकता है। पेशाब में उच्च यूरिक एसिड के स्तर के कारण स्वरूप किडनी में पधरी हो सकती है। यह नेफ्रोपैथी या किडनी की खराबी जैसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है।

दाल, प्यूरिन और यूरिक एसिड

फल, सब्जियां और दाल, इन सबके सेवन से यूरिक एसिड के बढ़ने या घटने की समस्या हो सकती है। कुछ खास तरह के दाल, फल और सब्जियों से परहेज करना जरूरी है क्योंकि इनमें प्यूरिन की मात्रा ज्यादा होती है। प्यूरिन हमारे द्वारा सेवन किए गए प्रोटीन के टूटने से बनता है। शरीर में प्यूरिन की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, सीरम यूरिक एसिड के बढ़ने के मौके उतने ज्यादा हो जाते हैं। लेकिन जो लोग यह सोचते हैं कि प्यूरिन सिर्फ हमारे द्वारा खाए गए भोजन से बनता है, तो वे गलत हैं। सच तो यह है कि प्यूरिन का निर्माण शरीर भी करता है।

किसमें होता है प्यूरिन

भोजन के टूटने से पैदा होने वाला प्यूरीन स्वाभाविक रूप से निकलता है, यह एंडोजीनियस (अंतर्जात) प्यूरिन को नियंत्रित करता है, जो कि एक समस्या है। चॉकलेट और अल्कोहल एंडोजीनियस प्यूरिन मेटाबॉलिज्म के निर्माण को सक्रिय करते हैं और खून में यूरिक एसिड के स्तर को डिस्टर्ब करते हैं। चीनी जैसे सरल कार्बोहाइड्रेट एंडोजीनियस प्यूरीन मेटाबॉलिज्म को भी बढ़ाते हैं। इसलिए इनसे बचना सबसे अच्छा है, खासकर यदि आपका यूरिक एसिड का स्तर अधिक हो।

क्या कहते है डॉक्टर

फरीदाबाद स्थित एशियन हॉस्पिटल की डाइटीशियन विभा बाजपेयी के अनुसार, यूरिक एसिड प्यूरिन की वजह से बढ़ता है। यूरिक एसिड बढ़ा हुआ, तो हर तरह की दाल से परहेज करना चाहिए, जिसमें राजमा, सफेद चने, काले चने भी शामिल हैं। यदि आप नॉन-वेजीटेरियन हैं, तो आपको अंग वाला हिस्सा नहीं खाना चाहिए, जैसे लीवर, ब्रेन और किडनी। यदि आप इन सबका सेवन कर रही हैं, तो इनके साथ तरल पदार्थ का सेवन भी खूब करना चाहिए। तरल पदार्थ में पानी के साथ नींबू पानी और छाछ भी शामिल है। लेकिन आप धुली हुई दाल खा सकते हैं, जैसे- मूंग, अरहर, मसूर आदि। जहां तक बात इन दालों से अधन या झाग निकालने की आती है, तो इसमें किसी भी तरह की सच्चाई नहीं है। यदि आप इसे बाहर निकालती हैं, तो आपको दाल में मौजूद विटामिन टान कम मिलेंगे। बैंगन, मटर और मशरूम से परहेज करना चाहिए। यदि आप इनका सेवन कर रही हैं, तो साथ में पानी भी जरूर पियें। दरअसल यूरिक एसिड बेकार होता है, जो पानी पीने से शरीर से निकल जाता है।

दाल को कैसे पकाएं कि वह नुकसान न करे

दाल के पौष्टिक गुणों का फायदा लेना है, तो दाल को पकाने से पहले उसे पानी में भिगोकर रखना जरूरी है। ऐसा आप कम से कम छह से आठ घटे तक करें, इसके बाद दाल पकने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती है। इसके बाद दाल को कई बार पानी बदल बदलकर धोना सही रहता है, इससे पानी में भीगे दाल के ऊपर दिखने वाला झाग खत्म हो जाता है। आप चाहें तो खाने वाले मीठे सोडा को पानी में मिलाकर दाल को धो सकते हैं। इस पानी से दाल को धोने से यदि उसमें कोई कीड़े मारने वाली दवा होगी तो उसका असर खत्म हो जाएगा।

दाल को पकाने वाला बर्तन

दाल को हम किसी भी तरह के बर्तन में पका लेते हैं जबकि दाल को पकाते समय उसके बर्तन की क्वालिटी पर भी ध्यान देना जरूरी है। दाल को हमेशा मिट्टी या स्टील के बर्तन में पकाने के लिए कहा जाता रहा है। लेकिन यह ध्यान भी रखने के लिए कहा जाता है कि दाल को बिना ढके हुए पकाना चाहिए।

  • Related Posts

    Special Ayurvedic Sharbat for summer: गर्मियों में पीएं आयुर्वेद का चमत्कारिक शरबत

    Special Ayurvedic Sharbat for summer: गर्मियां शुरु हो गई हैं, ऐसे में 40 डिग्री तापमान में लोग ठंड के लिए अक्सर एयरकंडिशनर का इस्तेमाल करते हैं और बाहर अति गर्मी…

    Sinus problem and Ayurveda: आयुर्वेद के घरेलू उपाए से काबू में रखा जा सकता है साइनस

    Sinus problem and Ayurveda: सर्दियों के मौसम में नाक, फेफड़े और सांस की समस्याएं आम होने लगती है। कई बार साइनस की समस्या लोगों को बहुत परेशान करती है। सर्दियों…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    International Yoga Day 2025 को लेकर 25 हज़ार संगठनों ने किया पंजीकरण

    International Yoga Day 2025 को लेकर 25 हज़ार संगठनों ने किया पंजीकरण

    Cough-Lungs संबंधी बीमारी के लिए रामबाण है दशमूल काढ़ा

    Cough-Lungs संबंधी बीमारी के लिए रामबाण है दशमूल काढ़ा

    Ayush Chairs in Foreign Universies: सरकार ने विदेशों में आयुष चेयर्स के लिए मंगाए आवेदन

    Ayush Chairs in Foreign Universies: सरकार ने विदेशों में आयुष चेयर्स के लिए मंगाए आवेदन

    Special Ayurvedic Sharbat for summer: गर्मियों में पीएं आयुर्वेद का चमत्कारिक शरबत

    Special Ayurvedic Sharbat for summer: गर्मियों में पीएं आयुर्वेद का चमत्कारिक शरबत