Ayurved in Modi government: पिछले कुछ सालों में भारत का प्राचीनतम ज्ञान यानि आयुर्वेद की मान्यता पूरी दुनिया में बढ़ी है। लेकिन आयुर्वेद जैसे बेहतर चिकित्सा पद्धति की स्थिति 2014 से पहले बहुत ही खराब थी। पुरानी सरकारों में आयुर्वेद के चिकित्सकों को फॉर्मा और एलोपैथी लॉबी के दबाव में झोलाछाप तक कहा जाता था। लेकिन मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद अब स्थितियां बहुत ही बदल गई है। हालात ये है कि खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) तक भारत में ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर खोलने जा रहा है।
मोदी सरकार ने आते ही किया था बड़ा फैसला
Dalco Healthcare के निदेशक डॉ. दीपक तिवारी ने www.ayurvedindian.com को बताया कि पिछले लंबे अरसे से चिकित्सा के नाम पर बिजनेस को ही बढ़ाया गया है। दवा कंपनियों के दबाव में ज्य़ादा से ज्य़ादा रोगी कैसे पैदा हो इसपर ही ध्यान दिया गया। लेकिन जबसे मोदी जी आए हैं। तबसे ही आयुर्वेद को ग्रास रूट पर बढ़ाने की कोशिश शुरु हो गई है। इसमें स्वास्थ्य तो है ही लेकिन बीमार ना हो इसपर ध्यान दिया गया है। मोदी सरकार के आने के बाद ही 2014 में आयुष को विभाग से एक मंत्रालय बनाया गया। साथ ही सरकार ने बीमारियों को ठीक करने के लिए हॉलेस्टिक अप्रोच अपनाई, यानि जो बीमारी जिस चिकित्सा पद्धति से कारगर तरीके से ठीक होगी, वो ही अपनाई जाए। चुंकि ज्य़ादातर बीमारियां, लगभग 80 प्रतिशत बीमारियां लाइफ स्टाइल की वजह से होती है और खान पान में बदलाव से ही इन्हें ठीक किया जाता है। आयुर्वेद में दवाएं प्राकृतिक होती है, लिहाजा इसकी दवाओं में टॉक्सिक कम होते हैं। जबकि एलोपैथी में टॉक्सिक बहुत होता है शरीर पर रिएक्शन बहुत होता है। जब आयुर्वेद बढ़ेगा तो बीमार अपने आप कम हो जाएंगे।
IMA-Ayush के राष्ट्रीय अध्यक्ष महासचिव डॉक्टर केशव शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद में जो आज भारत का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है, वो इस सरकार के आने के बाद ही हुआ है। आयुर्वेद के डॉक्टर्स देश के हर जगह पर बैठे हैं और लगातार लोगों की सेवाएं कर रहे हैं। हमारा आयुर्वेद ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जिसमें हम 20 से 30 परसेंट रोगियों को तो बिना दवा के ही ठीक कर सकते हैं। अब ये सिर्फ हम ही नहीं कह रहे हैं, बल्कि अब अमेरिका, जर्मनी से लेकर फ्रांस तक सभी ये कह रहे हैं कि ऐसा किया जा सकता है। हाल ही में मोदी सरकार ने जिन 128 सालों के व्यक्ति को पदमश्री दिया, वो भी आयुर्वेद को ही अपनाते हैं। वो खुद भी कहते हैं कि वो सिर्फ खानपान से ही अपने स्वास्थ्य को ठीक रखते हैं।