Ayurveda to eradicate diabetes: भारत दुनिया में सबसे ज्य़ादा डायबीटीक मरीजों वाला देश है। भारत में डायबिटीज़ जिसको आयुर्वेद में प्रमेह (Premeh) कहा जाता है। उसकी संख्या लगातार बढ़ भी रही है। हालांकि आयुर्वेद के मुताबिक ये बीमारी सिर्फ खानपान और रहनसहन की आदतों की वजह से लोगों को होती है। अक्सर ये 40 साल के बाद ये बीमारी लोगों को घेरती है। हालांकि कई बार ये बीमारी बच्चों में भी हो जाती है।
ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेदा (AIIA) की वरिष्ठ प्रो. कल्पना साठे ने ayurvedindian.com को बताया कि आयुर्वेद में इसको प्रमेह कहा जाता है, ये अक्सर 40 साल के बाद ही होती है। अक्सर ये वंशानुगत होता है, लेकिन कई बार ये बचपन में ही हो जाता है, बचपन में होने वाले रोग को आयुर्वेद में सहज रोग कहा जाता है। ये मुख्यतौर पर खाने पीने और रहन सहन की बीमारी है। इसको सिर्फ ब्लड शुगर से ही पता नहीं लगाया जाता है। शुगर बढ़ने की वजह से शरीर में शुगर ऑब्जर्व नहीं होती है, इसको मेटाबॉलिक सिंड्रोम कहा जाता है। इससे ऑक्सीजन का सप्लाई कम होने लगता है । इसकी वजह से शरीर में धातुओं का असंतुलन हो जाता है तब आयुर्वेद में इसे धातु रोग कहा जाता है। आयुर्वेद में इस बीमारी को आहार विहार और औषधियों से ठीक किया जाता है। अगर मेहनत की जाए तो ये बिलकुल ठीक भी हो सकता है। लेकिन इसके लिए मरीज को बहुत मेहनत की जरुरत होती है।
जंक फूड है सबसे बड़ा कारण
भारत में डायबीटिज का सबसे बड़ा कारण जंक फूड है, भारत में पहले खानपान रितुओं के मुताबिक था, यानि गर्मी-बरसात और सर्दियों में अलग अलग तरह का खानपान होता था। लेकिन अब सर्दियों में भी लोग खीरा खा रहे हैं, जबकि खाने में मैदा और इससे बनी हुई चीजें भी बहुत बढ़ गई हैं। इसकी वजह से देश में डायबटिज का विस्फोट हो गया है। हालांकि बीमारी को दूर रखना बहुत ही आसान है। अगर जंक फूड से दूर रहा जाए और लगातार व्यायाम किया जाता रहे तो इस बीमारी से दूर रहा जा सकता है।