India : Ayurved ka Baap: क्या आप जानते हैं कि विश्व में सबसे पहले आधुनिक चिकित्सा का ज्ञान भारत ने दिया . भारत के महर्षि सुश्रुत (Maharishi Sushruta) इस विद्या के जनक कहे जाते हैं. इसके बाद भी भारत से यह क्रेडिट छीनकर सऊदी अरब को दे दिया गया.
India – Father of Ayurved : जल्द ही AIIMS आयुर्वेद के जनक महर्षि सुश्रुत पर रिसर्च करने जा रहा है , बहुत कम लोगों को पता होगा कि महर्षि सुश्रुत (Maharishi Sushruta) को Father of Surgery भी कहा जाता है. इस रिसर्च के दौरान महर्षि सुश्रुत के ज्ञान और आधुनिक दौर की मेडिकल Surgeries के संबध को स्थापित किया जाएगा.
वेदों में आयुर्वेद का जो उल्लेख मिला, उसे आने वाली सदियों में दो भागों में बांटा गया.
हिंदुस्तान ने दिया दुनिया को आयुर्वेद का तोहफा
पहला था आत्रेय सम्प्रदाय – इससे संबंधित जानकारी हमें चरक संहिता में प्राप्त है, जिसमें अलग अलग बीमारियों के बारे में बताया गया है. ये प्रसिद्ध आयुर्वेदिक ग्रन्थ चरक ने लिखा था. चरक एक महर्षि एवं आयुर्वेद विशारद के रूप में विख्यात हैं. वे कुषाण राज्य के राजवैद्य थे.
दूसरा सम्प्रदाय था धन्वंतरि संप्रदाय – इससे संबंधित जानकारी सुश्रुत संहिता में मिलती है. जिसमें 100 से अधिक अलग अलग तरह की Surgeries और 650 से ज़्यादा दवाइयों का ज़िक्र है. सुश्रुत प्राचीन हिंदुस्तान के महान चिकित्सा-शास्त्री और शल्य चिकित्सक थे. वो आयुर्वेद के महान ग्रन्थ सुश्रुत संहिता के प्रणेता भी हैं. उन्हें शल्य चिकित्सा (Medical Surgery) का जनक भी कहा जाता है.
केरल में पढ़ाया जा रहा आयुर्वेद का गलत इतिहास
केरल के राज्य शिक्षा बोर्ड की 9वीं कक्षा की एक पुस्तक में महर्षि सुश्रुत को Father of Surgery का दर्जा नहीं मिला बल्कि इस पुस्तक में लिखा है कि चिकित्साशास्त्री अबू अल कासिम अहमद उर्फ अल जहरावी Father of Surgery यानी मेडिकल Surgeries के जनक थे. जिनका जन्म सऊदी अरब में वर्ष 936 में हुआ था. जबकि महर्षि सुश्रुत का जन्म 800 ईसा पूर्व यानी अल ज़हरावी से लगभग साढ़े 1700 साल पहले हुआ था. दुर्भाग्यपूर्ण ये है कि केरल में आज भी यही पढ़ाया जा रहा है कि Father of Surgery महर्षि सुश्रुत नहीं बल्कि अल जहरावी थे.
भारत मे 5000 साल से चलती आ रही है सर्जरी
चेहरे को सुंदर बनाने की क़ॉ़स्मेटिक सर्जरी हो, बच्चे का सिजेरियन सर्जरी से जन्म हो या मुश्किल से मुश्किल समय में किसी के कट चुके अंग को वापस जोड़ना हो. आपको लगता होगा ये सब मेडिकल साइंस ने सीखा है. लेकिन हम आपको बताना चाहते हैं कि भारत में एक ऐसी किताब पहले से मौजूद थी जिसमें महर्षि (Maharishi Sushruta) ने मुश्किल से मुश्किल सर्जरी को करने के बहुत से तरीके बता रखे है . उसी किताब से सीख कर पूरे विश्व ने सर्जरी को सीखा. किताब का नाम है सुश्रुत संहिता
अब इसी ऐतिहासिक तथ्य को रिसर्च के साथ साबित किया जाएगा. देश के सबसे बड़े अस्पताल AIIMS के डॉक्टरों ने डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (Department of Science and Technology) को यह प्रस्ताव भेजा कि उन्हें महर्षि सुश्रुत की सर्जरी के संबंध को साबित करने वाली रिसर्च के लिए मंज़ूरी दी जाए. ऐसा करने की सबसे बड़ी जरूरत है इतिहास को दुरुस्त करना. ग्रीस और अमेरिका जैसे देश अभी प्लास्टिक सर्जरी से लेकर मेडिकल साइंस की लगभग हर नई तकनीक को अपना बताकर दूसरों को सिखा रहे हैं और इसका सारा क्रेडिट ले रहे है . लेकिन भारत अब 600 ईसा पूर्व के एन्साइक्लोपीडिया और मेडिकल साइंस की सबसे मुश्किल टेक्नीक के जनक महर्षि सुश्रुत (Maharishi Sushruta) से दुनिया को मिलवाना चाहता है.
3 हजार साल पहले हिंदुस्तान हुई पहली सर्जरी
इतिहास में ये दर्ज है कि दुनिया की पहली प्लास्टिक सर्जरी आज से लगभग 3 हजार वर्ष पहले काशी में की गई थी ऐसा माना जाता है कि उन्होंने ही आज से 2800 साल पहले पहली प्लास्टिक सर्जरी की थी. उस समय काशी में एक व्यक्ति महर्षि सुश्रुत (Maharishi Sushruta) के पास कटी हुई नाक लेकर पहुंचा था.पहले सुश्रुत (Maharishi Sushruta) ने उस व्यक्ति को नशीला पदार्थ पिलाया, जिससे उसे दर्द ना हो. इसके बाद उसके माथे से त्वचा का हिस्सा लिया और पत्ते के जरिए उसकी नाक का आकार समझा और बाद में टांके लगा कर इस व्यक्ति की सर्जरी कर दी और वह व्यक्ति बिल्कुल ठीक हो गया.
सुश्रुत संहिता में ये भी लिखा है कि सुश्रुत 125 अलग अलग सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स का प्रयोग करते थे. चाकू, सुई, चिमटे जैसे अलग अलग इंस्ट्रूमेंटस को वो उबालकर यूज करते थे. सुश्रुत संहिता के 184 चैप्टर हैं जिसमें 1120 बीमारियों के बारे में बताया गया है. 700 मेडिसिन वाले पौधों का जिक्र है. 12 तरह के फ्रैक्चर और 7 डिस्लोकेशन यानी हड्डी का खिसकना समझाया गया है.
महर्षि सुश्रुत को 300 अलग अलग तरह की सर्जरी आती थी. जिसमें नाक और कान की सर्जरी मेन थी. आंखों की सर्जरी में उन्हे महारत हासिल थी. इसके अलावा सर्जरी से बच्चे का जन्म, एनेस्थिसिया यानी बेहोश करने की सही डोज का ज्ञान भी उन्हें बहुत अच्छे से मालूम था. अपने शिष्यों को सिखाने के लिए महर्षि सुश्रुत फल, सब्जियों और मोम के पुतलों का प्रयोग करते थे. बाद में शवों पर उन्होंने खुद सर्जरी सीखी और फिर अपने विद्यायरथिओ को भी सिखाई.
सऊदी अरब को दिया जा रहा आयुर्वेद का क्रेडिट
केरल स्टेट बोर्ड क्लास 9th social science की किताब में फादर ऑफ सर्जरी के तौर पर कुछ और ही पढाया जा रहा है. इस किताब में एक अरब मुस्लिम अबू अल कासिम अल जहरावी के बारे में बताया जा रहा है. जो मदीना में पैदा हुए थे. क्योंकि सुश्रुत का जन्म 800 ईसा पूर्व (BC) हुआ था. जबकि अल ज़हरावी के जन्म का समय 936 AD का मदीना में बताया जाता है. पिछले वर्ष जनवरी के महीने में इस बात पर काफी बवाल भी हुआ था. लेकिन आज भी यही पढाया जा रहा है.