Ayurvedic medicine: कोरोना में आयुर्वेद की दवाओं के असर को देखने के लिए आयुष मंत्रालय ने आयुष संजीवनी मोबाइल ऐप पर लोगों के बीच एक सर्वे कराया था। जिसमें लगभग 1.35 करोड़ लोगों ने अपनी राय दी है। लोगों पर किए इस सर्वे के मुताबिक 7.24 लाख लोगों ने कोरोना के इलाज के लिए आयुर्वेद का सहारा लिया।
आयुष मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 85.1 प्रतिशत ने बताया कि कोरोना के इलाज के लिए उन्होंने आयुर्वेद की दवाओं और अन्य उपायों का इस्तेमाल किया था। इनमें से 89.8 प्रतिशत लोगों ने बताया कि आयुर्वेद की दवाओं से उनका कोरोना ठीक हो गया।
आयुर्वेद और अन्य आयुष प्रणालियों के बारे में लोगों को बताने के लिए सरकार ने वेबिनार के माध्यम से “आयुष के लिए प्रतिरक्षा” पर तीन महीने का अभियान शुरू किया था और इम्यूनिटी के लिए आयुष पर अभियान बुलेटिन भी प्रकाशित किया। वेबिनार में 50 हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया।
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान होम आइसोलेशन वाले मरीज़ों बड़ी संख्या में लोगों ने आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध की दवाओं और इलाज का सहारा लिया। इस दौरान बच्चों में रोगनिरोधी देखभाल के बारे में आयुष चिकित्सकों के लिए होम केयर दिशानिर्देश और आयुष चिकित्सकों के लिए एडवाइजरी जारी की थी।
आयुष मंत्रालय ने कोरोना के इलाज के लिए आयुर्वेद और योग पर आधारित प्रोटोकॉल भी जारी किया है। इस प्रोटोकॉल में, कोरोना के इलाज के लिए आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन जैसे गुडूचीघनवती, गुडुची-पिप्पली और आयुष-64 का सुझाव दिया गया है, जबकि COVID-19 के हल्के मामलों के प्रबंधन के लिए गुडूची-पिप्पली और आयुष-64 का सुझाव दिया गया है।