Benefits of the Matsyasana: अगर आपको सांस लेने में कुछ परेशानी होती है या फिर आपकी गर्दन या छाती में जकड़न रहती है और आप डॉक्टर्स को दिखाकर परेशान हो गए हैं तो योग के विशेष आसनों से आपकी समस्या दूर हो सकती है।बस आपको कुछ योग किसी योग विशेषज्ञ की निगरानी में सीखने होंगे। इस तरह की समस्याओं में सबसे महत्वपूर्ण योग आसन है मत्यस्य आसन, यानि मछली की तरह का आसन। जिस तरह से मछली बहुत ही फ्लेक्सिबल होती है। वैसा ही ये आसान है, जोकि हमारे शरीर को बहुत ही लचीला बना देता है।
मत्स्यासन के फायदे (Benefits of the Matsyasana)
ये आसन गर्दन और छाती में लचीलापन लाता है।
गर्दन और कन्धों कि मासपेशियों में जकड़न को हटाता है।
सांस लेने में हो रही समस्याओं को दूर करता है और गहरी लंबी सांस लेने में मदद करता है।
पैराथाइरॉइड, पीनियल व पिटिटयूरी ग्लांड्स को भी ये सदृढ़ करता है।
सरवाइकल की समस्या को भी दूर करता है ये आसन
कैसे करें मत्स्यासन
कमर के बल लेट जाएँ और अपने हाथों और पैरों को एक साथ जोड़ लें।
हाथों को कूल्हों के नीचे रख लें, हथेलियां ज़मीन की ओर रखें। अब अपनी कोहनियों को एक साथ जोड़ें।
सांस को अंदर लेते हुए, छाती औ सर को ऊपर उठाएं।
अपनी छाती को धीरे धीरे उठाएं, सर को पीछे कि ओर लेकर जाएं और सर को ज़मीन पर लगाने की कोशिश करें।
सर को ज़मीन पर आराम से छूएं और अपनी कोहनियों से ज़मीन पर दबाव डालें। अब सारा भार कोहनियों पर डाल दें, लेकिन सर पर किसी तरह का दबाव ना डाले। अपनी छाती को ऊपर उठाएं। जंघा और पैरों को ज़मीन की ओर दबाएं।
थोड़ी देर इसी अवस्था में रहें, इस दौरान लंबी गहरी सांसें लेते रहें। बाहर जाती हुई सांस के साथ थोड़ा आराम करें।
अब सर को ऊपर की ओर उठाएं, छाती को नीचे करते हुए वापस आ जाएं। दोनों हाथों को वापस शरीर के दायें-बायें रखें और आराम करें।
कब ना करें मत्स्यासन Contraindications of the Matsyasana
अगर आपको कम या उच्च बीपी की समस्या है तो आप इस आसन को नहीं करें। सर दर्द और नींद ना आने की बीमारी में भी लोगों को भी मत्स्यासन नही करना चाहिए। जिन लोगो को कमर या गर्दन में कुछ चोट लगी हुई है, उनको भी इस आसान से बचना चाहिए। चुंकि ये आसान शरीर में लचीलेपन के साथ साथ एक्टिविटी भी बढ़ा देता है, लिहाजा कुछ विशेष परिस्थियों में इसका परहेज करना चाहिए।