Exclusive interview with Atul Sharma: आयुर्वेद के क्षेत्र में देश की सबसे पुरानी कंपनियों में से एक बैद्यनाथ अब दवाओं के साथ साथ फूड प्रोडक्ट में भी आ गयी है। बैद्यनाथ रिसर्च फाउंडेशन ने ऑर्गेनिक उत्पादों की पूरी रेंज बाज़ार में उतारी हुई है। कंपनी की ये रेंज इतनी हिट हो गई है कि कंपनी डिमांड ही पूरी नहीं कर पा रही है। कंपनी के प्रेसिडेंट अतुल शर्मा से ayurvedindian.com के एडिटर दीपक उपाध्याय से विशेष बातचीत हुई।
सवाल- अतुल जी, बैद्यनाथ तो दवाई बनाने वाली कंपनी है, फिर ये कैसे फूड प्रोडक्ट में आ गई?
अतुल शर्मा- देखिए, वैदिक किचन के स्टार्ट होने की कहानी भी बड़ी मजेदार है, हम बुंदेलखंड के किसानों को ऑर्गेनिक औषधि उगाने के लिए कहते थे, लेकिन किसान ऑर्गेनिक औषधि के लिए खेती नहीं करना चाहता। लिहाजा हमने उन्हें ऑर्गेनिक खेती सिखाना शुरू किया। उसमें दालें, मसालें और खाद्य पदार्थ मुख्य थे। दूसरा हमारी कंपनी का मुख्य उद्देश्य हेल्थ है और आयुर्वेद के मुताबिक, “आहार ही औषधि” है। वहां से यह कांसेप्ट निकला। अगर हम अच्छा खाना खाएंगे, वही दवा के रूप में काम करेगा। फिर हमने और दैनिक खाद्य उत्पादों की तरफ बढ़ना शुरू किया और हमने किसानों को ऑर्गेनिक खेती शुरू किया, अब यह काफी बढ़ गया। पूरे देश के प्रमुख शहरों में हमारे उत्पाद मौजूद हैं और लोगों का बहुत ही अच्छा रिस्पांस है।
सवाल- जब यूरिया नहीं डल रहा तो कैसे खेती करवा रहे हैं।
अतुल शर्मा- देखिए, ऑर्गेनिक खेती में कोई केमिकल नहीं डालना है। हमने धीरे-धीरे किसानों को समझाना शुरू किया कि बाहर से कुछ भी नहीं डालना है। बुंदेलखंड इलाके में गाय सबसे घरों में होती ही है। हमने उन्हें गाय के खाद और गोमूत्र से ही खेती करना सिखाया। कैसे खाद बनाना है, कैसे गोमूत्र का इस्तेमाल करना है। हालांकि शुरुआता में किसानों को लग रहा था कि उपज कुछ कम हो गई है। लेकिन किसानों की लागत भी काफी कम हो गई थी। इससे कुल मिलाकर किसानों को फायदा नजर आने लगा और हमारे साथ आज बड़ी संख्या में किसान ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं।
सवाल- अतुल जी, क्या बुंदेलखंड के बाहर भी काम कर रहे हैं?
अतुल शर्मा- ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों का जिस तरह से उपयोग बढ़ता जा रहा है, इसको लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है वैसे वैसे हमारा उत्पादन भी बढ़ रहा है। फिलहाल हम 1000 किसानों के साथ बुंदेलखंड में ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं। जिससे उत्पाद बनाकर हम बेच रहे हैं। जैसे-जैसे मांग बढ़ेगी वैसे वैसे हम उत्पादन भी बनाएंगे और देश के बाकी भागों में भी किसानों के साथ काम कर रहे हैं। जैसे जैसे ज्यादा किसान ऑर्गेनिक खेती की तरफ या प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं, वैसे वैसे इन उत्पादों की लागत भी कम हो रही है, हम किसानों को भी यही समझा रहे हैं । साथ ही उत्पादन बढ़ने से इन उत्पादों की कीमतें भी कम होंगी। हम देश के और कई इलाकों में भी बुंदेलखंड के अलावा किसानों के साथ काम कर रहे हैं
सवाल- मोटे अनाज को लेकर प्रधानमंत्री जी आह्वान के बाद कैसा असर आया?
अतुल शर्मा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने खाद्य पदार्थों पर विशेषकर मोटे अनाज https://apeda.gov.in को लेकर जो कहा है उसको लेकर लोगों में खाद्य पदार्थों को लेकर बहुत जागरूकता आई है। मोटे अनाज जो लोगों के फूड हैबिट से बाहर निकल गए थे वह धीरे-धीरे वापस आ रहे हैं और किसानों का रुझान भी स्तर बढ़ा है। दुनिया में भी भारतीय मोटे अनाजों का महत्व काफी बढ़ा है।
सवाल- क्या पिछले कुछ समय से आयुर्वेद के प्रति सरकार और लोगों का रूझान बढ़ा है?
अतुल शर्मा- 2014 के बाद से लोगों में आयुर्वेद के प्रति रुझान काफी बढ़ा है। लोगों में जागरूकता बढ़ी है, लोग समझने लगे हैं कि जिस तरह से लोगों के जीवन में तनाव बढ़ रहा है, वैसे वैसे आयुर्वेद का महत्व लोगों में बढ़ रहा है। आयुर्वेद हर मरीज का अलग से इलाज करता है। अब यह लोगों को समझ में आ रहा है कि आयुर्वेद का मतलब दवाओं के अलावा योगा, खानपान, और दिनचर्या भी है। यानी आयुर्वेद का मतलब सिर्फ एक बीमारी का इलाज करना नहीं है, उसका मतलब पूरे जीवन को हर तरीके से स्वस्थ रखना है और यह बात लोगों को समझ में आने लगी है।
सवाल- क्या आप भी अपने स्टोर्स पर आयुर्वेदिक डॉक्टर्स को बिठाना शुरु करेंगे?
अतुल शर्मा-देखिए, धीरे-धीरे आयुर्वेद के डॉक्टर खुद ही स्टार्स के साथ टाइअप कर रहे हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर को भी यह कांसेप्ट समझ में आया है और वह खुद ही इस तरह काम कर रहे हैं। हम भी आयुर्वेदिक डॉक्टर के साथ काम करते हैं, उनको ऑनलाइन मरीजों के साथ जोड़ते भी हैं। अगर हमें भी यह जरूरत लगेगी की अपने स्टोर्स के साथ आयुर्वेदिक डॉक्टर को भी वहां पर बिठाना है तो हम भी इस तरफ कदम उठाएंगे।