Lumpy Virus: अब आयुर्वेद से होगा लम्पी वायरस का घर बैठे इलाज

Date:

Jaipur : जयपुर की शौर्य सेवा संस्थान ने गायों के लिए उपचार कैंप लगाया है. जहां आयुर्वेदिक उपचारों की मदद से बहुत सी लावारिस गायों की जान बचाई.

Jaipur: राजस्थान (Rajasthan) इस समय लंपी बीमारी से लड रहा है, ऐसे में नकारात्मक तस्वीरों के बीच लावारिस गायों (cows) को जीवनदान देने वाली सकारात्मक तस्वीर सामने आई है. जिससे लावारिस, बेसहारा गायों को नया जीवन मिल रहा है. हमारी संस्कृति में गायों को मां का दर्जा दिया गया है, लंपी (Lumpy) से सड़कों पर लावारिस बनकर महामारी का दर्द झेल गौमाता की सुध ली है, जयपुर (jaipur) की शौर्य सेवा संस्थान ने ऐसी ही गायों के लिए उपचार कैंप लगाया है, जो सडकों पर तडप रही हैं. जामडोली (jaamdoli) में लगाए गए कैंप (camp) में पिछले 13 दिनों में अब तक 45 गायों को नया जीवनदान दिया गया है. राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के सदस्य भवानी शंकर (bhavani shankar) माली लगातार गायों को जीवनदान देने में शौर्य संस्थान के साथ जुटे हुए है. उन्होंने अपील की है कि लंपी महामारी में सरकार (government) और सामाजिक संस्थाओं को सहयोग करना चाहिए, यही गौ माता की सच्ची सेवा होगी.

घर बैठे लड़िए लम्पी से
लंपी संक्रमण (lumpy virus) होने पर गाय के शरीर में कुछ लक्षण (side effects of lumpy virus skin disease) दिखाई देने लगते है, ऐसे में गाय का उदास (sad) सुस्त (lazy) होना, चारा बांट नहीं खाना, शरीर पर चकत्ते दिखना प्रमुख है. ऐसे में आयुर्वेद चिकित्सकों के अनुसार गायों को घर बैठे लंपी बीमारी का आयुर्वेद के जरिए उपचार कर सकते हैं. गाय को बीमार होने पर गौवंश से अलग बांधे- जमीन पर फिनाइल (finael) का छिड़काव करें, नीम की पत्ती 3 लीटर पानी में उबालकर उसमें एक मुट्ठी फिटकरी, हल्दी डालकर गाय पर उस पानी का स्प्रे करें, 200 ग्राम मुलेठी, 200 ग्राम मजीत, 200 ग्राम आमला, 200 ग्राम शतावरी, 200 ग्राम कालीमिर्च, 200 ग्राम हल्दी, 200 ग्राम जीरा  200 ग्राम लोंग, 50 ग्राम इन सब को कूटकर गुड़ में मिलाकर लड्डू बनाए और दिन में तीन बार 8 दिन तक गाय को दे, कंडे को जलाकर उस पर चीनी अजवाइन और गूगल की धुवां गाय के नाक में देवें, जिससे फेफड़ों में जमा हुआ अपशिष्ट बाहर निकल जाएगा, साथ में एलोपैथी टेबलेट निमोस्टाइल,Bolus Avil, Bolus Tvermectin एक एक टेबलेट दें.

शौर्य सेवा संस्थान की सचिव संतोष सैनी (santosh saini) ने भी इन्ही आयुर्वेदिक उपचारों की बदौलत बहुत सी लावारिस गायों की जान बचाई. लेकिन गायों में फैल रही इस महामारी की लडाई में सरकार के साथ साथ संगठनों और आम लोगों को आगे आना होगा,नहीं तो कही ऐसा ना हो की ये बीमारी और विकराल रूप ले ले, क्योंकि राजस्थान में अब तक 50 हजार से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

यूरोपीय देशों में भी हो रही है Ayurveda को लेकर चर्चाएं

भारतीय आयुर्वेद (Indian Ayurveda) की धूम दुनिया जहान में...

क्यों है Pranayama जीवन को स्वस्थ और सुखी रखने का उपाए

Practicing Pranayama: इन दिनों देश दुनिया में मानसिक रोग...

Ayurveda से इलाज के लिए 5 करोड़ लोगों का किया जाएगा प्रकृति परीक्षण

केंद्रीय आयुष मंत्रालय (Union Ministry of AYUSH) देशभर में...