
गुवाहाटी के ऑल इंडिया रेडियो परिसर में रहने वाले रणब कुमार नाथ पारंपरिक योग के ऐसे साधक हैं, जो अपनी शांत, संतुलित और अनुशासित जीवनशैली से कई लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। योग के प्रति उनकी रुचि बचपन से ही शुरू हुई थी, जब वे अपने पिता के साथ सुबह-सुबह प्राणायाम और आसनों का अभ्यास किया करते थे। समय के साथ यह रुचि एक समर्पित साधना में बदल गई, और आज रणब नाथ असम में योग को जन-जन तक पहुँचाने वाले प्रमुख प्रचारकों में गिने जाते हैं।
ऑल इंडिया रेडियो परिसर में रहते हुए उन्होंने योग को सिर्फ व्यक्तिगत साधना तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे सामुदायिक अभ्यास का रूप दिया। हर सुबह परिसर में रहने वाले लोग उनके साथ योग क्लास में शामिल होते हैं। उनकी शैली की सबसे बड़ी खासियत है—योग को सरल, सहज और जीवन से जुड़ा हुआ बनाना। वे कहते हैं कि योग केवल शरीर को लचीला बनाने का माध्यम नहीं, बल्कि मन को स्थिर, विचारों को संतुलित और जीवन को सकारात्मक दिशा देने की कला है।
योग के माध्यम से उन्होंने न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक तनाव मुक्ति, बेहतर एकाग्रता और अनुशासन से जुड़ी कई समस्याओं के समाधान लोगों को सिखाए हैं। असम के कई युवा, सरकारी कर्मचारी और गृहिणियाँ उनसे प्रेरित होकर योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना चुके हैं।
रणब कुमार नाथ का मानना है कि आज की तेज़ रफ्तार दुनिया में योग हमारी जड़ों से जोड़ने और आधुनिक जीवन की चुनौतियों से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका है। उनकी यात्रा यह संदेश देती है कि यदि समर्पण और निरंतरता हो, तो योग जीवन में एक नई ऊर्जा, गहराई और संतुलन ला सकता है। उनकी यह साधना गुवाहाटी ही नहीं, बल्कि पूरे असम के लिए एक प्रेरक उदाहरण है।