Standardise Product of Ayush: केंद्र सरकार ने आयुर्वेदिक, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी (एएसयू एंड एच) दवाओं के पुड़िया कल्चर को बंद करने के लिए एक योजना तैयार की है। दरअसल भारतीय चिकित्सा पद्धयति अपनाने वाले कई वैद्य दवाई के तौर पर पुड़िया देते हैं। जिसकी वजह से भारतीय चिकित्सा पद्धयति को लेकर कई तरह से सवाल खड़े किए जाते रहे हैं। इसलिए सरकार ने इन डॉक्टर्स की दी जाने वाली दवाओं में एक स्टैंडर्ड लाने के लिए भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी (पीसीआईएम और एच) के लिए फार्माकोपिया आयोग की स्थापना की है।
यह आयोग आयुर्वेदिक फार्माकोपिया ऑफ इंडिया (एपीआई), सिद्ध फार्माकोपिया ऑफ इंडिया (एसपीआई), यूनानी फार्माकोपिया ऑफ इंडिया (यूपीआई) और होम्योपैथिक फार्माकोपिया ऑफ इंडिया (एचपीआई) को प्रकाशित और संशोधित करने का काम करेगा। आयुर्वेदिक, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथिक दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा और उनके असर को सुनिश्चित करने के लिए मानक बुनियादी जरूरत होती है, लिहाजा ये आयोग उसको स्थापित करेगा। फार्माकोपिया आयोग आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी आधिकारिक सूत्रों और नियामक संग्रहों को प्रकाशित और संशोधित करने का काम भी करेगा। ये प्रकाशित मानक कच्चे माल / दवाओं के गुणवत्ता मानकों का पता लगाने और पूरे भारत में समान रूप से लागू करने के लिए ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 और नियम, 1945 का हिस्सा भी बना दिए गए हैं।
आयुष की दवाएं बनाने वाली कंपनियों को भी इससे दवाओं में एकरूपता लाने और आयुष दवाओं की क्रेडिबिली स्थापित करने में मदद मिलेगी। एएसयू एंड एच दवाओं के निर्माता के लिए संबंधित राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए) से लाइसेंस प्राप्त करना और संबंधित फार्माकोपिया में दी गई दवाओं के निर्धारित अच्छे विनिर्माण अभ्यास (जीएमपी) और गुणवत्ता मानकों का पालन करना अनिवार्य है। एसएलए निरीक्षक द्वारा किए गए निरीक्षण (ओं) के माध्यम से निर्माण इकाई की आवश्यक ढांचागत सुविधाओं, उपकरण / मशीनरी, जनशक्ति के सत्यापन के बाद लाइसेंस प्रदान करता है। सरकार ने आयुर्वेदिक, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथिक दवाओं के वैज्ञानिक सत्यापन के उपक्रम, प्रचार, समन्वय और वैज्ञानिक सत्यापन के लिए अलग केंद्रीय अनुसंधान परिषद की स्थापना भी की है।