Traditional Medicine in China: भारत में जहां मोदी सरकार के आने के बाद पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं चीन ने भी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ाने के लिए काफी कोशिशें की हैं। ख़ासकर कोरोना से निबटने के लिए तो चीन ने दो करोड़ से ज्यादा लोगों का इलाज पारंपरिक चिकित्सा से ही किया था।
फोरम ऑफ इंडियन ट्रेडिशनल मेडिसन और आयुष मंत्रालय की “चाइनीज़ ट्रेडिशनल मेडिसनल पॉलिसी” पर स्टडी के मुताबिक चीन में पारंपरिक चिकित्सा को स्थापित किया जा रहा है, वहां भी पुराने मेडिसिनल प्लांट्स को बढ़ावा देने के साथ साथ पूरे देश में पारंपरिक चिकित्सा सेंटर खोले जा रहे हैं। इसकी वजह से चीन में पारंपरिक चिकित्सा इंडस्ट्री काफी तेज़ी से बढ़ी है।
चीन में पारंपरिक चिकित्सा इंश्योरेंस का हिस्सा
इस रिपोर्ट में लिखा गया है कि चीन में पारंपरिक चिकित्सा को इंश्योरेंस स्कीम के साथ जोड़ा गया है, पारंपरिक चिकित्सा को आवश्यक दवा सूची में डालने के साथ साथ इसे मॉर्डन चिकित्सा के साथ ही प्रेक्टिस किया जा रहा है। हालत ये है कि चीन में 520 आवश्यक दवाओं में से 203 दवाएं पारंपरिक चिकित्सा पद्धति की हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां इसको कितना महत्व दिया जाता है। इसकी वजह से वहां बीमारी का खर्च कम हो रहा है। साथ ही पारंपरिक चिकित्सा की ग्रोथ भी काफी हुई है। वहां अब पारंपरिक जड़ी बूटियों का कारोबार काफी बढ़ा है। स्टडी के मुताबिक भारत को भी अपनी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए चीन के मॉडल को स्टडी करना चाहिए। स्टडी में लिखा गया है कि जब भारत के योग को पूरी दुनिया ने अपना लिया है तो ऐसे में आयुर्वेद को भी पूरी दुनिया में आगे लेकर जाने के लिए और स्टडी की जानी चाहिए।
शिक्षा में भी पारंपरिक चिकित्सा
स्टडी में पाया गया है कि चीन में पारंपरिक ज्ञान को वहां बेसिक शिक्षा का हिस्सा बनाया गया है। इसकी वजह से चीन में पारंपरिक चिकित्सा का सेक्टर तेजी से बढ़ा है। इसकी वजह से पारंपरिक चिकित्सा पद्धति की जरूरतों को पूरा किया जा पा रहा है। भारत में भी आयुर्वेद और आयुष की पद्धतियों के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए।
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