Yoga and meditation: योग और मेडिटेशन में रिसर्च की जरुरत: Dr. Raghvendra Rao

Yoga and meditation: देश में योग और नेचुरोपैथी को बढ़ाने के लिए सरकार ने योग और मेडिटेशन संस्थानों को ज्य़ादा से ज्य़ादा रिसर्च पर फोकस करने के लिए कहा है। ताकि एविडेंस बेस्ड योग और मेडिटेशन किया जा सके और उसको मॉर्डन मेडिकल के साथ स्थापित किया जा सके।

सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन योगा एंड नेचुरोपैथी के डायरेक्टर डॉ. राघवेंद्र राव के मुताबिक देश में योग और मेडिटेशन के बहुत सारे अवसर हैं। अगले दो से तीन सालों में ये बाज़ार योग और मेडिटेशन सेवाओं का बाज़ार 15 बिलियन डॉलर से ज्य़ादा का हो जाएगा। फिलहाल ये 9.5 बिलियन डॉलर का है। लेकिन भारत की हिस्सेदारी इस बाज़ार में बहुत ही कम है। गोवहाटी में आयुष के कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ. राव ने कहा कि इस बाज़ार में सबसे ज्यादा कब्ज़ा अमेरिका का है। चुंकि वहां इस पूरे सेक्टर पर बहुत ज्य़ादा रिसर्च होती है। दुनिया में सबसे ज्य़ादा रिसर्च पेपर वहां पब्लिश होते हैं। लिहाजा वहां इसको लेकर काफी काम हो रहा है। लेकिन भारत में रिसर्च पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। दुनियाभर में योग और मेडिटेशन सेंटर में डॉक्टर्स भी आते हैं ताकि वो रिजुविनेट हो पाएं। भारत में कुछ अच्छे सेंटर हैं।

एक अन्य लेक्चर में डॉ. राव ने कहा कि अमेरिका का योग और मेडिटेशन मार्केट पर सबसे ज्य़ादा हिस्सेदारी है। वहां इसपर बहुत सारे रिसर्च भी हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वहां योगा, नेचुरोपैथी, एक्युपेंचर आदि का बहुत बोलबाला है। दुनिया में 24 हज़ार से ज्य़ादा रिसर्च पेपर योग और नेचुरोपैथी पर लिखे जा चुके हैं। लेकिन भारत का इसमें योगदान बहुत कम है। भारत में योग और नेचुरोपैथी पर जितने भी आधुनिक रिसर्च पेपर छपे हैं, उनमें से ज्य़ादा पिछले 10 सालों में ही छपे हैं। भारत ने बेशक योग शुरु किया था। लेकिन जहां तक आधुनिक योग और नेचुरोपैथी की बात है तो देश में बहुत ज्य़ादा पिछड़ गया है। भारत ने योग के बारे में आधुनिक रिसर्च पेपर लिखने में हिस्सेदारी सिर्फ 17 परसेंट ही है। जबकि मेडिटेशन में तो ये सिर्फ 6 परसेंट ही हैं।

उन्होंने कहा कि 2014 के बाद जबसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योगा दिवस शुरु किया था। तबसे भारत योग के मामले में सेंट्रल स्टेज पर आ गया है। विदेशों ने योग पर बहुत ज्य़ादा एडवांस रिसर्च की है। वहां के डॉक्टर्स और रिसर्चर अब भारत में योग पर लेक्चर देने आ रहे हैं। वहां योग और केंसर पर अच्छी रिसर्च हुई है। उन्होंने स्किन डिजीज में योग पर बहुत ज्य़ादा रिसर्च की है। जबकि हम योग को आधुनिक ढांचे में स्थापित करने में पिछड़ गए हैं।

डॉ. राव के मुताबिक, हमें एविडेंस बेस्ड योगा पर काम करना चाहिए। हमें नई नई पार्टनरशिप करनी चाहिए। छोटी छोटी सैंपल साइज स्टडी करनी चाहिए। उनको पब्लिश करना चाहिए। फिर गाइडलाइंस के हिसाब से काम करना चाहिए। इससे हमारा एविडेंस बनने लगेगा। उसके बाद हमें कलोबरेशन करना पड़ेगा। धीरे धीरे ये बढ़ना शुरु हो जाएगा। तो हम वापस में योग के मामले में विश्व गुरु बन सकेेंगे।

  • Related Posts

    New Ayush education policy की तैयारियों में जुटा आयुष मंत्रालय

    New Ayush education policy: आयुष क्षेत्र में शिक्षा को बेहतर करने के लिए आयुष मंत्रालय नई शिक्षा नीति का तर्ज पर नई आयुष नीति लाने की तैयारी कर रहा है।…

    दस सालों में आयुष क्षेत्र में हुआ बहुत बड़ा बदलाव, आयुष मंत्रालय की रिपोर्ट

    आयुर्वेद और पारंपरिक भारतीय चिकित्सा (Ayurveda and traditional Indian medicine) में पिछले दस सालों में काफी बढ़ोतरी हुई है। आयुष मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में आयुष के…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    विलुप्त होते औषधीय पौधों को बचाने की पहल

    विलुप्त होते औषधीय पौधों को बचाने की पहल

    Ayurved: मीट और अंडे की बजाए खाएं यह तो मिलेगा भरपूर प्रोटीन

    • By एसk
    • July 17, 2025
    • 956 views
    Ayurved: मीट और अंडे की बजाए खाएं यह तो मिलेगा भरपूर प्रोटीन

    Impact of Yoga Day: योग और ध्यान पर रिसर्च और क्लिनिकल ट्रायल्स में भारी बढ़ोतरी

    Impact of Yoga Day: योग और ध्यान पर रिसर्च और क्लिनिकल ट्रायल्स में भारी बढ़ोतरी

    अब और भी भव्य होता जा रहा है International Yoga Day: प्रधानमंत्री मोदी

    • By एसk
    • June 29, 2025
    • 252 views
    अब और भी भव्य होता जा रहा है International Yoga Day: प्रधानमंत्री मोदी