देश में पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ाने के लिए 10 नए आयुष संस्थान खोलेगी केंद्र सरकार

Date:

देश में पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को ज्य़ादा से ज्य़ादा लोगों तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार अगले पांच सालों में 10 नए आयुष संस्थान खोलेगी। केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री प्रताप राव जाधव ने बताया कि भारत में हर नागरिक के लिए पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को अधिक सुलभ बनाने के लिए सरकार काम कर रही है।

जाधव ने कहा कि सरकार आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “औपनिवेशिक काल और विदेशी आक्रमणों के दौरान पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली प्रभावित हुई थी। योग और आयुर्वेद की वैश्विक स्वीकृति उनके लाभों की बढ़ती मान्यता के साथ बढ़ रही है।” आयुष, जिसका अर्थ है आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी, ने हाल के वर्षों में वृद्धि देखी है। यह वृद्धि वैकल्पिक चिकित्सा में रुचि, सरकारी पहल और समग्र स्वास्थ्य समाधानों की मांग से प्रेरित है।

भारत में 600 से अधिक आयुष कॉलेज हैं जो स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रम प्रदान करते हैं। इन संस्थानों को राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग (NCISM) और राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग (NCH) द्वारा विनियमित किया जाता है। इसके अतिरिक्त, देश भर में 25,000 से अधिक आयुष अस्पताल और क्लीनिक हैं, जिनमें एलोपैथिक और आयुष उपचारों को मिलाने वाले एकीकृत अस्पताल भी शामिल हैं। नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण संस्थान है।

2014 में स्थापित आयुष मंत्रालय भारत में आयुष प्रथाओं के विकास और प्रचार की देखरेख करता है। केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद (CCIM) और केंद्रीय होम्योपैथी परिषद (CCH) सहित विभिन्न परिषदें इस क्षेत्र के भीतर विनियमन और मानकीकरण के लिए जिम्मेदार हैं।

2022 में आयुष उद्योग 1,51,200 करोड़ रुपये से ज्य़ादा का था, जिसमें अनुमान है कि अगले कुछ वर्षों में 15-20% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) पर होगी। हर्बल दवाओं और वेलनेस सेवाओं सहित आयुष उत्पादों का वैश्विक बाजार भी बढ़ रहा है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी और जापान जैसे देशों को निर्यात शामिल है।

आयुष्मान भारत योजना और राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र जैसे सरकारी कार्यक्रम इस क्षेत्र के विकास में योगदान दे रहे हैं। इन पहलों का उद्देश्य पूरे देश में आयुष प्रथाओं की पहुँच को बढ़ाना है। आयुष स्टार्टअप के लिए वित्तीय सहायता और विनिर्माण और अनुसंधान के लिए आयुष क्लस्टरों के निर्माण ने भी उद्योग को समर्थन दिया है। प्राकृतिक और जैविक उत्पादों की उपभोक्ता मांग के साथ-साथ प्रतिरक्षा बढ़ाने और निवारक स्वास्थ्य सेवा में रुचि ने भी इस क्षेत्र के विकास को प्रभावित किया है। आधुनिक स्वास्थ्य सेवा प्रथाओं के साथ आयुष उपचारों का एकीकरण अधिक आम होता जा रहा है, विशेष रूप से पुरानी बीमारियों और जीवनशैली विकारों के उपचार में।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Ayurved-Yoga को आगे बढ़ाने के लिए उत्तराखंड सरकार उठा रही है बड़े कदम

उत्तराखंड सरकार, राज्य में योग और आयुर्वेद (Yoga and...

Siddha for Anaemia: किशोरियों में खून की कमी को दूर करती हैं “सिद्धा” दी दवाएं

Siddha for Anaemia: किशोरियों में खून की कमी यानि...

Ayurveda NExT Exam update: पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए अनिवार्य हुआ NExT Exam

Ayurveda NExT Exam update: आयुर्वेद सहित विभिन्‍न पारंपरिक चिकित्‍सा पैथियों...

नींद से जुड़ी समस्याओं का आयुर्वेदिक तरीके से दूर करेगा AIIA

अगर आपको नींद आने में कोई समस्या है और...