सर्दियों में सूरज के काम निकालना और मौसम के बोझिल होने की वजह से अक्सर अवसाद और डिप्रेशन के मरीजों की संख्या में इजाफा हो जाता है। सर्दियों में होने वाले डिप्रेशन को मौसमी भावात्मक विकार (SAD) कहा जाता हैं। यह एक तरह का अवसाद है जोकि आमतौर पर सर्दियों के मौसम में ही होता है। इसके प्रमुख लक्षण कम ऊर्जा, ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत, नींद के पैटर्न में बदलाव आना, सामान्य गतिविधियों में दिलचस्पी बहुत ही कम हो जाना और सेक्स में अचानक रुचि खत्म होना। आयुर्वेद और योग के जरिए इस तरह के अवसाद और डिप्रेशन को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। इस मानसिक बीमारी को आसानी से ठीक किया जा सकता है। बस लोगों को अपने जीवन और रहन-सहन के तरीके में कुछ बदलाव करने होते हैं।
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आयुर्वेद के मुताबिक, जिन लोगों को तनाव और डिप्रेशन है, उनको सुबह जल्दी उठना चाहिए। अपने शौच आदि से निबटने के बाद, अगर मौसम ठीक है तो बाहर नहीं तो घर में ही 15-20 मिनट की ब्रिस्क वॉक या खड़े-खड़े रनिंग भी की जा सकती है। उसके बाद कुछ योग के आसन किए जाने चाहिएं। जिसमें प्राणायाम और प्राणवायु संबंधित योग को शामिल किया जाना चाहिए। इसके साथ ही साथ सोते समय नाक के अंदर बादाम के तेल की दो बंदे डालनी चाहिए। साथ ही नारियल या फिर बादाम के तेल से पैरों की और सर की मसाज की जानी चाहिए। नहाते समय हल्के गुनगुने पानी का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए और एक और महत्वपूर्ण बात कि अपने खाने और सोने के टाइम टेबल पर ध्यान देना चाहिए।
डॉ. सांत्वना श्रीकांत के मुताबिक, अवसाद के कारण देश में 54 प्रतिशत आत्महत्या के मामले हो रहे हैं। जिसमें महिलाएं 71 प्रतिशत हैं, जबकि 15 से 29 साल के युवा आत्महत्या कर रहे हैं। दरअसल हाल ही में सिमरन नाम की एक सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर ने आत्महत्या कर ली थी। जिसके बाद यह सवाल खड़ा हो रहा था कि युवा आत्महत्या क्यों कर रहे हैं।