Ayurveda Product Export: आठ सालों में 67 परसेंट बढ़ा आयुर्वेद-हर्बल उत्पादों का निर्यात


Ayurveda export
Ayurveda Product Export: दुनियाभर में योगा और उसके टीचर्स के बाद अब आयुर्वेद और उनके उत्पादों की मांग में भी भारी बढ़ोतरी हुई है। मोदी सरकार के केंद्र की सत्ता में आने के बाद आयुर्वेद और हर्बल उत्पादों के निर्यात में भारी बढ़ोतरी हुई है। पिछले आठ सालों में आयुर्वेद और हर्बल उत्पादों के निर्यात में 67 परसेंट की भारी बढ़ोतरी हुई है।
दरअसल भारत सरकार पिछले कुछ सालों से लगातार आयुर्वेद को विश्व में स्थापित करने की कोशिश में लगी हुई है। इसकी वजह से आयुर्वेद और हर्बल उत्पादों का निर्यात साल 2021-22 में बढ़कर 61 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया है। 2013-14 में ये निर्यात 36.7 करोड़ डॉलर था।


Dr. Pratap Chauhan, Director, Jiva Ayurveda
मशहूर आयुर्वेदाचार्य और जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर डॉ. प्रताप चौहान ने ayurvedindian.com को बताया कि बीते कुछ सालों में आयुर्वेद पर लोगों का भरोसा भी बढ़ा है। सरकार की कोशिशों की वजह से दुनियाभर में भारत के आयुर्वेद का इस्तेमाल भी बढ़ा है। भारत के वैद्य और रिसर्चर लगातार एविडेंस बेस्ड आयुर्वेदिक उत्पादों पर रिसर्च कर रहे हैं, बड़ी बड़ी रिसर्च मैग्जीन में आयुर्वेद पर रिसर्च पेपर छप रहे हैं, पिछले कुछ सालों में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के स्तर पर भी बहुत काम हुआ है। अब एविडेंस कलेक्शन का काम बड़े स्तर पर हो रहा है, इससे दुनियाभर में लोगों को भरोसा हुआ है कि आयुर्वेद काफी कारगर है। साथ ही कोरोना में अश्वगंधा और गिलोय काफी कारगर रही, इससे भी लोगों में आयुर्वेद की विश्वसनीयता बढ़ी है।
IMA-Ayush के महासचिव डॉ. केशव शर्मा ने ayurvedindian.com को बताया कि देखिए अभी तक आयुर्वेद को लेकर हमें तरीका नहीं पता था कि इसकी क्रेडिबिलिटी कैसे स्थापित करनी है। हमारे ऊपर टैग लग गया था कि हम अवैज्ञानिक है। वो हमारे लिए सबसे बड़ी परेशानी थी, लेकिन हमें इस सरकार के आने के बाद हमें काफी समर्थन मिला। सरकारी प्रयास विदेशों काफी हुए, सरकार ने हमारी बात को समझा और योग की वजह से भी हमारे ज्ञान को काफी दुनिया में समझा और जाना। इससे भी दुनियाभर में अब आयुर्वेद के प्रति विश्वास काफी बढ़ गया है।