Cervical Spondylosis: पंचकर्म से दूर हो सकता है सर्वाइल पेन

Date:

Cervical Spondylosis: सर्दियों में अक्सर लोगों को हड्डियों का दर्द शुरु हो जाता है, बहुत सारे लोगों को उनके जोड़ों में दर्द होता है। अधिक सर्दी होने के कारण शरीर में अकड़न ज्य़ादा होती है और दर्द ज्य़ादा होता है

आयुर्वेद के मुताबिक, शरीर में वात बढ़ने के कारण गर्दन के ऊतकों और जोड़ों में दर्द होता है। ठंडे और गैस बनाने वाले खाने कसैला खाना, लंबे समय तक खाना नहीं खाना, इसके साथ ही धूम्रपान और शराब के कारण ये बढ़ जाता है। उम्र के साथ सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस होने का खतरा भी बढ़ता जाता है। लंबे समय तक एक ही जगह लंबे समय तक बैठने की वजह से गर्दन के जोड़, रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव और हड्डियों के क्षरण और कम हड्डियों के डेंसिटी का खतरा बढ़ जाता है। यदि इसका समय पर ध्यान नहीं दिया जाए तो ये लगातार बढ़ता जाता है

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के मुख्य कारण हैं:

1. डिस्क डिहाइड्रेशन – जैसे जैसे हमारी उम्र बढ़ती है तो जोड़ों में दोनों हड्डियों के बीच पाया जाना वाला ल्युब्रिकेंट धीरे धीरे कम हो जाता है, कई बार ये वंशानुगत स्थितियों या कई बार किसी अन्य कारण से भी होता है। इसके कारण दोनों हड्डियों के बीच में घर्षण होता है और दर्द होता है। इसी वजह से सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस होता है

2. हड्डी का बढ़ना – उम्र, भारी काम के बोझ या अन्य कारणों से हड्डी बढ़ सकती है। इसके बाद यह रीढ़ की हड्डी (कशेरुक), साथ ही इसके चारों ओर की नसों को दबा देता है। इससे बहुत तेज़ दर्द और आगे और परेशानियां पैदा होने लगती है

3.स्नायुबंधन में अकड़न – जैसे जैसे उम्र बढ़ती है उसमें अकड़न बढ़ने लगती है, कई बार खिंचाव, मोच या फाइब्रोमायल्गिया जैसी बीमारियों के कारण लिगामेंट सख्त हो सकता है। यह सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस या गर्दन में दर्द का कारण हो सकता है

आयुर्वेद का उद्देश्य शरीर में दोषों को ठीक करना और शरीर में संतुलन लाना है। दैनिक दिनचर्या और खान पान के जरिए वात में असंतुलन को कम किया जा सकता है। आयर्वेद में बढ़े हुए वात को आयुर्वेदिक काढ़े के विभिन्न तरीकों से बढ़े वात को संतुलित किया जाता है और पाचन में सुधार लाया जाता है, ताकि पेट खाने को अच्छी तरह से पचा सके और शरीर में वात कम हो।

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के इलाज के लिए आयुर्वेद पंचकर्म एक बहुत बढ़िया उपाय है। इसमें मांसपेशियों और जोड़ों की सूजन और गर्दन की हड्डी के जोड़ों के लचीलेपन में सुधार के लिए के लिए अभ्यंग स्वेडम, इलाकिज़ी, नस्यम, शिरोवस्ती या शिरोधारा, सर्वांगधारा, ग्रीवा वस्ति, नवरा किज़ी, पिझिचिल आदि किया जाता है। इससे इस बीमारी से धीरे धीरे करके आराम आने लगता है।

1 COMMENT

  1. I was smoking marijuana any moment I could and soon found out that everyone around
    me was drinking alcohol so I thought I would try it. I thought “my parents and siblings drink so it couldn’t be
    that bad.” I drank so much the first time that I got very sick.
    Truth is I didn’t like drinking but it was socially acceptable so I
    drank as much as I could. I couldn’t seem to get enough.

    My drinking and using marijuana continued for two years.

    At around five days sober, I checked into a
    28-day inpatient treatment program. Treatment forced me to see one thing crystal clear:
    my recovery had to be the most important thing in my life.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

बच सकते हैं Kidney stone से अगर अपनाए यह आयुर्वेदिक उपाय

भारत में किडनी स्टोन डिजीज (केएसडी) काफी आम बीमारी...

Benefits of Moringa: किन किन बीमारियों में मोरिंगा हो सकता है रामबाण इलाज

आयुर्वेद की सबसे शक्तिशाली सब्जी मोरिंगा है जिसे मल्टीविटामिन...

World Ayurveda Congress के लिए मांगे गए रिसर्च पेपर्स

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 12 से 15 दिसंबर...

New Ayush education policy की तैयारियों में जुटा आयुष मंत्रालय

New Ayush education policy: आयुष क्षेत्र में शिक्षा को...