आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति (Ayurveda medical system) में कुछ ऐसी दवाएं हैं, जोकि प्राकृतिक तौर पर आपको इतना मज़बूत कर देती हैं कि आपको बीमारियां होने की आशंका बहुत ही कम हो जाती हैं। ऐसी पांच आयुर्वेदिक औषधियों (five ayurvedic medicines) के बारे में हम आपको बताते हैं, जिनका सेवन आप किसी अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेकर कर सकते हैं। इन औषधियों में सबसे पहले हैं।
अश्वगंधा (Ashwagandha)
जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह अश्व यानि घोड़े से संबंधित है। आयुर्वेद में हज़ारों सालों से इस औषधी का प्रयोग हो रहा है। यह औषधी आपको घोड़े की तरह रखती ही है, साथ ही आपके तनाव को भी काफी हद तक बैलेंस करती है। मार्डन चिकित्सा पद्धतियों की रिसर्च ने भी पाया है कि यह तनाव के समय पैदा होने वाले cortisol रसायन को बैलेंस करता है। अमेरिका में हुई रिसर्च में भी पाया गया है कि एंजाइटी और नींद की परेशानियों से जूझ रहे लोगों के लिए भी अश्वगंधा रामबाण हैं। इसके साथ साथ अश्वगंधा मसल्स ग्रोथ, मेमरी और बच्चा पैदा करने की क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है।
त्रिफला (Triphala)
यह औषधी भी भारत के हज़ारों साल पहले चिकित्सा ज्ञान की उपलब्धि है, जिसमें आयुर्वेद के सभी ग्रंथों में बताया गया है। त्रिफला तीन फलों को मिलाकर बनता है, जोकि आंवला, बहेड़ा और हरितकी हैं। इन तीनों का योग त्रिफला कहलाता है, जोकि शरीर के सभी दोषों को संतुलित करता है। त्रिफला से पेट से संबंधित बीमारियां जड़ से खत्म हो जाती हैं। पुरानी से पुरानी कब्ज, पेट दर्द, अपच आदि के लिए भारतीय लंबे समय से त्रिफला का उपयोग कर रहे हैं। मुंह के अंदर की बीमारियों को भी ठीक करने में त्रिफला बहुत बेहतर औषधी है। जिन लोगों के दांतों में सड़न है, या दर्द रहता है वो त्रिफला के पानी से कुल्ला करते हैं तो इन बीमारियों में राहत मिलती है।
ब्राह्मी (Bramhi)
ब्राह्मी का उपयोग भी पूरे भारत में दिमाग संबंधी बीमारियों में किया जाता रहा है। यह औषधी ना सिर्फ दिमागी क्षमता में बढ़ोतरी करती है, बल्कि हाइपर एक्टिव डिस्आर्डर जैसी गंभीर बीमारियों में भी बहुत अच्छा असर दिखाती है। यह बीमारी व्यक्ति पर बेहतर कंट्रोल भी पैदा करती है। इसके साथ साथ यह तनाव में व्यक्ति के दिमाग को शांत रखने और उसे एक्जाइटी से बचाने में भी बहुत मददगार साबित हुई है।
हल्दी (Haldi)
भारत की रसोई में हल्दी सभी को मिल जाएगी, भारत में हल्दी के फायदे घर घर को मालूम है, तभी को कोरोना के समय भारतीयों में जमकर हल्दी का उपयोग किया और बीमारी से बचाव किया। हल्दी के अंदर करक्यूमिन नाम का एक ऐसा तत्व होता है, जोकि एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमटरी प्रापर्टी युक्त होता है। डिफ्रेशन में भी हल्दी काफी प्रभावी औषधी के तौर पर काम करती है।
लौंग (Clove)
भारतीय रसोई में लौंग भी सभी के घरों में मिलती है। भारतीय इस औषधी का इस्तेमाल पेट से जुड़ी बीमारियों (दस्त, पेट फूलना, मतली, अपच, उल्टी, गैस्ट्रिक इर्रिटेबिलिटी, डायरिया), श्वसन संबंधी बीमारियों (सर्दी, खांसी, ब्रोंकाइटिस, साइनसाइटिस, दमा) इत्यादि में तो करते ही हैं, साथ ही इसको दांत दर्द में भी इस्तेमाल किया जाता है।