Ayurved sector में स्टैंडर्ड को एकरूपता देने के काम में ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बीआईएस ने आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी जैसी पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की चिकित्सा पद्धतियों, दवाओं और उनके उपकरणों के स्टैंडर्ड में एकरूपता लाने के लिए कई सारे स्टैंडर्ड स्थापित कर दिए हैं। देश में वस्तुओं और सेवाओं में मानक स्थापित करने वाली इस संस्था ने आयुर्वेद में अभी तक 91 मानकों को स्थापित किया है।
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बीआईएस के डीजी प्रमोद कुमार तिवारी ने बताया कि बीआईएस संस्थान में आयुष का पूरा एक विभाग स्थापित किया जा चुका है, जिसमें सात कमेटियां बनाई हुई हैं, जोकि आयुष के अलग अलग विभागों के एक्सपर्ट के साथ मिलकर काम कर रही हैं। ये समितियाँ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के अनुरूप व्यापक, साक्ष्य-आधारित मानक सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों, वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों, उद्योग प्रतिनिधियों और नियामक निकायों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर काम करती हैं। आज तक, BIS ने जड़ी-बूटियों, आयुर्वेद और योग शब्दावली, पंचकर्म उपकरण, योग सहायक उपकरण और जड़ी-बूटियों में कीटनाशक अवशेषों के लिए परीक्षण विधियों जैसे विविध विषयों को कवर करते हुए 91 मानक प्रकाशित किए हैं।
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उल्लेखनीय रूप से, पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियों के लिए 80 स्वदेशी भारतीय मानकों का प्रकाशन उनके सुरक्षित और प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देता है, जिससे उपभोक्ताओं और उद्योग दोनों को लाभ होता है। इसके अतिरिक्त, पंचकर्म उपकरणों के लिए पहले राष्ट्रीय मानक रोगनिरोधी और चिकित्सीय प्रक्रियाओं में एकरूपता सुनिश्चित करते हैं, जिससे आयुष स्वास्थ्य सेवा प्रथाओं की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में एक कदम उठाते हुए, BIS ने घरेलू निर्माताओं और किसानों का समर्थन करते हुए “कॉटन योगा मैट” के लिए एक स्वदेशी भारतीय मानक तैयार किया है। विभाग ने शब्दावली, एकल जड़ी-बूटियाँ, योग पोशाक, सिद्ध निदान और होम्योपैथिक तैयारियों सहित भविष्य के मानकीकरण क्षेत्रों की भी पहचान की है। बीआईएस की पहल की सराहना करते हुए आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, “जैसे-जैसे अधिक लोग पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों की ओर रुख कर रहे हैं, आयुष उत्पादों और सेवाओं में निरंतर गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता की आवश्यकता अनिवार्य है। बीआईएस ने इस क्षेत्र में इस समर्पित विभाग की स्थापना करके और आईएस: 17873 ‘कॉटन योगा मैट’ जैसे महत्वपूर्ण मानकों को विकसित करके अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है। ये पारंपरिक भारतीय चिकित्सा को बढ़ावा देने और विकसित करने में महत्वपूर्ण मील के पत्थर हैं। कठोर मानकों और नवाचार के माध्यम से, बीआईएस राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुष प्रणालियों की स्वीकृति और विकास को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।”