Improve diet to avoid diseases: आयुर्वेद में मोटापे का जिक्र ही नहीं है, बड़ी बात ये है कि भारत के गांवों और जहां पुरानी संस्कृति के मुताबिक लोग अपनी दिनचर्या और खानपान रखते हैं, वहां आज भी मोटापा और अन्य परेशानियां नहीं है। वैद्य अनुप कुमार गुप्ता के मुताबिक अगर आपका ख़ानपान अनियमित है तो आपका भोजन नहीं पचेगा, इसकी वजह से ही आपको कई तरह की बीमारियां हो सकती है, लेकिन जहां तक आयुर्वेद का सवाल है तो उसमें मोटापा था ही नहीं, अगर आप एक भोजन के पचने से पहले ही दूसरा भोजन कर लेते हैं तो इससे आपका शरीर बीमार होने लगेगा।
आयुर्वेद में कफ प्रकृति वाले व्यक्तियों की काया थोड़ी स्थूल होती है। इसका जिक्र तो आयुर्वेद में मिलता है, लेकिन मोटापे को बीमारी के तौर पर चिन्हिंत नहीं किया गया है। ये एक लक्ष्ण हो सकता है, लेकिन बीमारी नहीं है। हमारे यहां हर 15 दिनों में एक व्रत आ जाता है। लिहाजा भारत में पारंपरिक तौर पर मोटापा जैसी बीमारी थी ही नहीं। हालांकि डायबिटीज जरुर थी।
भारत में अनियमित खानपान और शारीरिक मेहनत नहीं करने के कारण से ही बीमारियां हो रही हैं। आयुर्वेद कहता है अगर आप भोजन के ऊपर दूसरा भोजन कर लेते हैं तो ये आपके शरीर में बीमारियों को आमंत्रित करता है। आयुर्वेद में दोपहर का भोजन भी निषिद यानि मना है। अगर आप अनियमित भोजन करते हैं, तो आपके शरीर में भोजन पचेगा नहीं, भोजन के नहीं पचने से ही बीमारियां आती हैं। जो भोजन पचा नहीं वो शरीर में रहेगा, फिर वो कब्ज को जन्म देगा, उससे ही डायबिटिज और अन्य रक्त की बीमारियां आपके शरीर में होने लगेगी। इसलिए अगर बीमारियों से बचना है तो सबसे पहले अपने भोजन को सही तरह से कीजिए। ज़मीन पर बैठकर भोजन किया जाना चाहिए, भोजन शरीर से थोड़ा ऊपर रखा होना चाहिए। जिससे आपको झुकना ना पड़े और आपके भोजन नली (फूड पाइप) पर दबाव ना पड़े। हर हफ्ते या 15 दिन में एक दिन शरीर को भोजन से मुक्त रखना चाहिए। यानि उस पूरे सिस्टम को आराम देना चाहिए।