जानिए शरद ऋतु में में खीर का सेवन, क्या कहता है विज्ञान और क्या बरतें सावधानियां

Date:

वर्षा ऋतु के बाद जब शरद ऋतु आती है तो आसमान में बादल व धूल के न होने से कडक धूप पड़ती है। जिससे शरीर में पित्त कुपित होता है। इसी समय गड्ढों आदि मे जमा पानी के कारण बहुत बड़ी मात्रा मे मच्छर पैदा होते है इससे मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू आदि होने का खतरा सबसे अधिक होता है।

खीर खाने से पित्त का शमन होता है। शरद में ही पितृ पक्ष (श्राद्ध) आता है पितरों का मुख्य भोजन है खीर। इस दौरान 5 – 7 बार खीर खाना हो जाता है। इसके बाद शरद पूर्णिमा को रातभर चाँदनी के नीचे चाँदी के पात्र में रखी खीर सुबह खाई जाती है। चाँदी का पात्र न हो तो चाँदी का चम्मच खीर मे डाल दे, लेकिन बर्तन मिट्टी, काँसा या पीतल का हो।

गाय के दूध की खीर है लाभकारी

यह खीर विशेष ठंडक पहुंचाती है। गाय के दूध की हो तो अति उत्तम, विशेष गुणकारी (आयुर्वेद मे घी से अर्थात गौ घी और दूध गौ का) इससे मलेरिया होने की संभावना नहीं के बराबर हो जाती है ।

•श्राद्ध पक्ष में कद्दू, तोरई की सब्जी, पूड़ी देशी घी की ही(रिफाइंड की नहीं)का सेवन अवश्य करें। पित्त का शमन होगा।

  • इस ऋतु में बनाई खीर में केसर, बादाम, काजू आदि मेवों का प्रयोग कतई न करें। ये गर्म प्रवृत्ति के होने से पित्त बढ़ा सकते है। इलायची, मुनक्का, नारियल, मखाने आदि डाल सकते हैं ।
  • वर्जित : मन्दाग्नि जिनको खाने के बाद नींद आती हो या जिनको खाँसी, अस्थमा, यूरिनरी व्याधि, कोलेस्ट्रोल, मोटापा हो वो लोग दोपहर में खाने के 1 घंटे पहले कम मात्र में ले।
  • पित प्रधान प्रकृति, वात प्रधान प्रकृति, या जिनको नींद ना आती हो वो लोग रात में खीर ले।
  • जो लोग वजन बढ़ाना चाहते हैं वह नित्य सेवन करे

सब प्रकार के रोगों और व्यक्तियों को वरिष्ठ व अनुभवी वैद्यों द्वारा आहार विहार संबंधी जानकारी के लिये संपर्क करें : 0120 – 4026100, 9625963298

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

बच सकते हैं Kidney stone से अगर अपनाए यह आयुर्वेदिक उपाय

भारत में किडनी स्टोन डिजीज (केएसडी) काफी आम बीमारी...

Benefits of Moringa: किन किन बीमारियों में मोरिंगा हो सकता है रामबाण इलाज

आयुर्वेद की सबसे शक्तिशाली सब्जी मोरिंगा है जिसे मल्टीविटामिन...

World Ayurveda Congress के लिए मांगे गए रिसर्च पेपर्स

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 12 से 15 दिसंबर...

New Ayush education policy की तैयारियों में जुटा आयुष मंत्रालय

New Ayush education policy: आयुष क्षेत्र में शिक्षा को...