Preventive Medical system Ayurveda: आयुर्वेद बीमारी को जड़ से खत्म करने का मेडिकल सिस्टम





देश में लंबे समय से आयुर्वेद के खिलाफ एक षड़यंत्र के तहत इसे मुख्य चिकित्सा पद्धति की बजाए इसे वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति बना दिया गया। इसको लेकर विभिन्न आयुर्वेद संगठन काम कर रहे हैं। इनमें से एक नेशनल आयुर्वेदिक स्टूडेंट एंड यूथ एसोसिएशन की सचिव डॉ. प्रीति भोसले से हमारे एडिटर दीपक उपाध्याय ने ख़ास बातचीत की। इस बातचीत के अंश हम प्रकाशित कर रहे हैं।

सवाल :क्या आयुर्वेद के साथ कोई षड़यंत्र किया गया?
डॉ. प्रीति भोसले: दुनिया के किसी भी देश में अपनी सांस्कृतिक चिकित्सा पद्धति को नीचे नहीं रखा जाता। उसे वैकल्पिक चिकित्सा का दर्जा नहीं दिया जाता है। हमारे देश में ऐसा एक षडयंत्र के कारण किया गया। इसका सबसे बड़ा कारण जो मुझे समझ आता है कि अंग्रेजों ने इसे खत्म करने की कोशिश की है। इसकी वजह से हमारी सांस्कृति को भी नुकसान पहुंचा। जैसे जैसे हम वेस्टर्नाइज होते गए और उसे मॉर्डन कल्चर समझते गए। उस तरह से इस दौड़ में हमने अपने कल्चर का नुकसान किया, हमारे ट्रीटमेंट का भी नुकसान हुआ और एजुकेशन का भी नुकसान हो गया। इसी के तहत ही आयुर्वेद को वैकल्पिक चिकित्सा का नाम दे दिया गया।

सवाल : आयुर्वेद को लेकर लोगों में भरोसा क्यों कम है?
डॉ. प्रीति भोसले: इस चिकित्सा पद्धति को घरेलू नुस्खा समझा जाता रहा है, चुंकि आयुर्वेद की ब्रांडिंग और मार्केटिंग एक मेडिकल सिस्टम की तरह नहीं की गई। अंग्रेजों ने इसे पूरी तरह से दबा दिया। इसलिए आज भी दुनिया में आयुर्वेद को हर्बल रेमेडी या होम रेमेडी के तौर पर ही देखा जाता है। दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है, इसको लेकर लोगों में भ्रम है, जैसे की भ्रम है कि ये सिर्फ कुछ ही रोगों में कारगर होता है। या फिर ये जादू टोना जैसा करता है, कोई चमत्कारिक इलाज हो जाता है। या बहुत अधिक परहेज करना होता है। हर समय केवल काढ़ा पीना होता है। आयुर्वेद को हिंदी और संस्कृत में पढ़ा जाता है। लिहाजा लोगों में भ्रांति है कि आयुर्वेद के चिकित्सक डॉक्टर नहीं होते। जबकि हकीकत में ये डॉक्टर शब्द ही वैद्य का ही ट्रांसलेशन मात्र है। इसमें मैं ये भी बताना चाहुंगी कि आयुर्वेद 5000 सालों से लोगों का इलाज़ कर रहा है। जबकि वेस्टर्न मेडिकल सिस्टम बहुत ही नया है।

सवाल : क्या कोरोना काल में भारतीय चिकिस्ता सिस्टम पर लोगों का भरोसा बढ़ा है?
डॉ. प्रीति भोसले: आयुर्वेद का काम सबसे पहले स्वस्थ्य व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना होता है। यानि ये प्रवेंटिव मेडिकल सिस्टम है। इसी वजह से आयुर्वेद प्रणाली सबसे ज्य़ादा ज़ोर इम्यूनिटी पर दिया जाता है। आयुर्वेद हमारी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण अंग है। कोरोना के समय इसी अंग को जागृत किया गया। कोरोना के समय हमें दोबारा बताया गया कि जो मसाले हमारी रसोई में है। वो ही दवाओं के तौर पर भी उपयोग किए जा सकते हैं। मंत्रालय ने प्रचार प्रसार करके गिलोय का प्रयोग करना, इम्यूनिटी काढ़ा बनाना। सरकार ने आम लोगों तक ये जानकारियां पहुंचाई और ये बात जग जाहिर है कि वेस्टर्न मेडिकल सिस्टम में बहुत सारे साइड इफेक्ट हैं। कोरोना काल में ये और अधिक ज्य़ादा रूप से सामने आया। इसलिए लोगों का भरोसा आयुर्वेद में कोरोना के बाद और बढ़ गया।

सवाल : वेस्टर्न मेडिकल सिस्टम की क्या समस्याएं हैं?
डॉ. प्रीति भोसले: कोरोना में वेस्टर्न मेडिकल सिस्टम कोरोना के उपयोग में किए गए दवाओं के साइड इफेक्ट सामने आए। इसमें पेरासिटामोल, एंटीबॉयोटिक्स, मल्टी विटमिन, मिनिरल्स आदि के अत्यधिक प्रयोग होने की वजह से सिस्टमेटिक बीमारियां सामने आ रही हैं। केवल मेडिकल सलाह पर ही नहीं बल्कि लोगों ने खुद से भी बहुत सारी विटमिन और एंटीबॉयोटिक्स का प्रयोग किया है। किसी भी तरह की वायरस बीमारी के बाद कमज़ोरी तो आती ही है। इसी तरह कोरोना के बाद भी लोगों में कमज़ोरी रही। लेकिन सबसे बड़ी समस्या दवाओं के बिना सलाह के उपयोग और जरूरत से ज्य़ादा दवाओं के उपयोग से आई। हमने ऐसे केस भी देखें हैं, जहां हल्की सी खराश होने पर भी लोगों ने बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं ली।

सवाल : आयुर्वेद काम कैसे करता है?
डॉ. प्रीति भोसले:
आयुर्वेद पूरे शरीर, लाइफस्टाइल, मन और भावनाओं को देखते हुए मरीज का इलाज करता है। आयुर्वेद के पर्सनलाइज मेडिसन सिस्टम है। हम सिर दर्द होने पर सिर्फ दर्द को दबाने का इलाज नहीं करते। हम पूरे शरीर को एक यूनिट समझकर उसके पूरे शरीर को ठीक करने के लिए फोकस करते हैं। हम इलाज से पहले व्यक्ति की शरीर की प्रकृति को समझते हैं। फिर उसके शरीर के हिसाब से ही उसकी बीमारी का इलाज़ बताते हैं। इसी तरह से हमारा ट्रीटमेंट अप्रोच रहता है। आयुर्वेद हो या वेस्टर्न सिस्टम हो, लोग इंटरनेट से पढ़कर दवाएं लेने लगते हैं और कई बार ये इतना ख़तरनाक हो जाता है कि डॉक्टर के हाथ से बात बाहर निकल जाती है।

सवाल : आयुर्वेद और वेस्टर्न मेडिकल सिस्टम में क्या फर्क है?
डॉ. प्रीति भोसले: वेस्टर्न या आयुर्वेद हो, दोनों ही इलाज करते हैं। लेकिन दोनों की अप्रोच अलग अलग है। दोनों का दवाई देने का तरीका भी अलग है। बीमारी को समझने का तरीका भी अलग है। जहां वेस्टर्न मेडिकल सिस्टम में रिडक्शनिस्ट अप्रोच फ्लो की जाती है। जहां शरीर को समझकर ऑर्गन से लेकर सेलुलर लेवल के हिसाब से इलाज किया जाता है। लेकिन आयुर्वेद में हम इससे भी ज्य़ादा गहरी समझ के साथ बीमार का इलाज करते हैं। हम सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि बीमारी की जड़ को दूर करने की अप्रोच के साथ काम करते हैं।

  • Related Posts

    Walking : आप एक दिन में 10,000 कदम चल रहे होंगे, लेकिन क्या आप पर्याप्त तेजी से चल रहे हैं?

    Does your walking even helping you : डॉ नारायण गडकर ने कहा, “इसे सही तरीके से करें और अपने आप को अधिक परिश्रम न करें। व्यक्ति का अंतिम लक्ष्य स्वस्थ…

    Acidity & Indegestion : एसिडिटी और अपच से राहत दिला सकते हैं ये आयुर्वेदिक नुस्खे, एक्स्पर्ट्स से जानिए

    ayurvedic remedies for acidity and indigestion : आयुर्वेद (ayurved) के अनुसार, इस स्थिति का मुख्य कारण आपके शरीर (body) में पित्त दोष (अग्नि तत्व) का बिगड़ना है। गैस (gas) की…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    Ayurved: मीट और अंडे की बजाए खाएं यह तो मिलेगा भरपूर प्रोटीन

    • By एसk
    • July 17, 2025
    • 920 views
    Ayurved: मीट और अंडे की बजाए खाएं यह तो मिलेगा भरपूर प्रोटीन

    Impact of Yoga Day: योग और ध्यान पर रिसर्च और क्लिनिकल ट्रायल्स में भारी बढ़ोतरी

    Impact of Yoga Day: योग और ध्यान पर रिसर्च और क्लिनिकल ट्रायल्स में भारी बढ़ोतरी

    अब और भी भव्य होता जा रहा है International Yoga Day: प्रधानमंत्री मोदी

    • By एसk
    • June 29, 2025
    • 231 views
    अब और भी भव्य होता जा रहा है International Yoga Day: प्रधानमंत्री मोदी

    Cataract-Motiabind को ठीक करने के अचूक औषधी है त्रिफलाघृत

    Cataract-Motiabind को ठीक करने के अचूक औषधी है त्रिफलाघृत